Rohit Arya: आरए स्टूडियो में बंधक बनाए गए बच्चों की उम्र 8 से 15 वर्ष के बीच थी। सभी बच्चे स्टूडियो में ऑडिशन देने आए थे। इस घटना ने मुंबई को हिलाकर रख दिया, लेकिन पुलिस की त्वरित और संयमित कार्रवाई से एक बड़ी त्रासदी टल गई।
मुंबई के पवई इलाके में आरए स्टूडियो बंधक कांड (RA Studio Hostage) में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रोहित आर्या (49) नामक व्यक्ति ने एक डॉक्यूमेंट्री के ऑडिशन के बहाने 17 बच्चों समेत कुल 20 लोगों को बंधक बना लिया। उसने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर बताया कि उसका इरादा आत्महत्या करने का था, लेकिन वह मरने की बजाय अब इस तरीके से कुछ बड़ा करने की सोच रहा है। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि मुख्य आरोपी आर्या ने महाराष्ट्र सरकार से 2 करोड़ रुपये वसूलने के लिए बच्चों को बंधक बनाया था। कथित तौर पर आर्या ने महाराष्ट्र के पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के कार्यकाल के दौरान स्कूल शिक्षा विभाग के लिए एक परियोजना के लिए काम किया था, लेकिन इसके पैसे उसे अभी तक नहीं मिले थे।
हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि रोहित आर्या का शिक्षा विभाग से कोई संबंध नहीं था। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया कि रोहित आर्या या उनकी संस्था का महाराष्ट्र शिक्षा विभाग से कोई आधिकारिक संबंध नहीं था, न ही उन्हें कोई मंजूरी मिली थी। यह बयान पूर्व मंत्री दीपक केसकर के दावों के विपरीत है, जबकि केसकर ने आर्या के प्रोजेक्ट को सरकारी योजना से जोड़ा था।
बताया जा रहा है कि पुणे निवासी रोहित आर्या पिछले कई महीनों से गहरी आर्थिक और मानसिक परेशानी में था। एक साल पहले उसने महाराष्ट्र सरकार की ‘मुख्यमंत्री माझी शाला सुंदर शाला योजना’ के तहत ‘स्वच्छता मॉनिटर’ नामक एक प्रोजेक्ट पर काम किया था। इस प्रोजेक्ट के लिए उसने अपना घर और गहने तक बेच दिए थे। कथित तौर पर इस प्रोजेक्ट के करीब दो करोड़ रुपये का भुगतान राज्य सरकार से न मिलने पर वह पूरी तरह से टूट गया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रोहित आर्या ने पहले भी कई बार अधिकारियों का ध्यान अपनी बकाया राशि की ओर आकर्षित करने के लिए इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की थी, दफ्तरों के चक्कर काटे, लेकिन पैसा नहीं मिला। गुरुवार को बंधक बनाए जाने के इस नाटक के दौरान उसने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा था कि, मैं न आतंकवादी हूं और न ही पैसे मांग रहा हूं। मैं कुछ लोगों से बात करना चाहता हूं। उसने यह भी बताया कि उसे आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया था, लेकिन अपनी जान लेने के बजाय, वह यह सब कर रहा है।
पुलिस ने बताया कि आरए स्टूडियो में बंधक बनाए गए बच्चों की उम्र 8 से 15 वर्ष के बीच थी। वे स्टूडियो में ऑडिशन के लिए गए थे। बच्चों को बंधक बनाए जाने की सूचना मिलते ही पवई और आसपास के पुलिस थानों की टीमें मौके पर पहुंचीं। पहले रोहित आर्या को समझाने का प्रयास किया गया और जब वह नहीं माना तो त्वरित प्रतिक्रिया टीम (क्यूआरटी) के आठ कमांडो को बाथरूम के रास्ते ऑडिशन रूम में भेजा गया। क्यूआरटी (Quick Reaction Team) ने यह ऑपरेशन सिर्फ 35 मिनट में अंजाम दिया और सभी बंधकों को सुरक्षित बचा लिया गया। हालांकि इस दौरान रोहित आर्या ने एयरगन से हमला करने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में चली पुलिस की गोली उसकी छाती पर लगी, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता सूरज लोखंडे ने बताया कि रोहित ने पिछले साल अगस्त में इसी मुद्दे पर आमरण अनशन किया था। सरकारी विभागों से शिकायतें और तब के शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर से आश्वासन मिलने के बावजूद उसे भुगतान नहीं हुआ। धीरे-धीरे वह गहरे अवसाद में चला गया।
रोहित की पत्नी आईसीआईसीआई बैंक में कार्यरत हैं और उसका एक बेटा है। उसके कोथरुड स्थित घर के पड़ोसियों ने बताया कि उसके माता-पिता 70 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं और पिता हृदय रोग से पीड़ित हैं। इस समय सभी मुंबई पहुंच चुके है।
इस मामले पर महाराष्ट्र के पूर्व स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने स्पष्ट किया कि उनका नाम बेवजह घसीटा जा रहा है। उन्होंने कहा, रोहित आर्या को सरकारी अभियान के तहत ठेका दिया गया था। हालांकि, उन्होंने कुछ प्रत्यक्ष मौद्रिक लेन-देन किए। उन्हें विभाग से बात करनी चाहिए थी और मामला सुलझाना चाहिए था, क्योंकि वे सरकारी काम कर रहे थे। ऐसी आधिकारिक प्रक्रियाओं में कुछ प्रोटोकॉल होते हैं, समय लगता है। हम सभी को निर्धारित मानदंडों के तहत काम करना पड़ता है। लेकिन लोगों को बंधक बनाना कोई समाधान नहीं है। फिलहाल मुंबई पुलिस इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है।