Uddhav Thackeray Shiv Sena Raj Thackeray MNS Alliance : हाल ही में आदित्य ठाकरे ने कहा, अगर कोई महाराष्ट्र के हितों की रक्षा के लिए साथ आना चाहता है तो हम भी उन्हें साथ लेकर चलेंगे।
महाराष्ट्र की राजनीति में जल्द ही एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा जोरों पर है। करीब दो दशक पहले राजनीतिक रास्ते अलग करने वाले ठाकरे भाई अब एक बार फिर साथ आने के संकेत दे रहे हैं।
हाल के हफ्तों में दोनों नेताओं उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के बयानों ने इस सियासी सुलह की संभावनाओं को हवा दी है। उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "महाराष्ट्र के लोग जो चाहेंगे, वही होगा। दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के मन में इस बारे में कोई भ्रम नहीं है।"
शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पत्रकारों के सवाल पर कहा, "महाराष्ट्र की जनता के दिल में जो है, वही होगा। हमारे और हमारे शिवसैनिकों के दिल में कोई भ्रम नहीं है...उनके (मनसे) मन में भी कोई भ्रम नहीं है। मैं मैसेज नहीं गठबंधन को लेकर सीधे खबर दूंगा।"
राज ठाकरे ने भी कुछ दिन पहले एक बयान में कहा था कि मराठी मानुष और महाराष्ट्र के हित में एकजुट होना मुश्किल नहीं है। वहीं उद्धव ठाकरे ने भी पुराने मतभेदों को भुलाने की बात कही, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ कोई समझौता न हो।
इस बीच, मनसे नेता अमित ठाकरे ने गठबंधन को लेकर मीडिया में चल रही अटकलों पर टिप्पणी करते हुए कहा, "सिर्फ बयानों से गठबंधन नहीं होते, इसके लिए उद्धव और राज ठाकरे को आमने-सामने बैठकर बात करनी चाहिए।" जबकि शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने भी गठबंधन होने के संकेत दिए हैं।
करीब बीस साल पहले शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने मनसे की स्थापना की थी। तब से दोनों दलों में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता बनी रही। लेकिन मौजूदा राजनीतिक समीकरणों और मराठी अस्मिता के सवालों के बीच अब एक बार फिर ठाकरे बंधु एक मंच पर आ सकते हैं। अगर यह गठबंधन होता है, तो महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया समीकरण खासकर मराठी वोट बैंक को लेकर बन सकता है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या वाकई ठाकरे भाई पुराने गिले-शिकवे भुलाकर एक हो पाएंगे।