नागौर

उम्र 72 वर्ष, जुनून 25 सा… यहां उम्र की मोहताज नहीं आस्था

मेड़ता सिटी (नागौर). मेड़ता के दूधासागर के पास बगस्थली माता मंदिर में रहने वाले संत महेश गिरी की उम्र भले ही 72 वर्ष हो गई हो लेकिन उनके शरीर में जुनून और आवाज आज भी 25 वर्ष के युवा जैसी है। यहां उम्र आस्था पर भारी पड़ रही है।

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Sep 14, 2025
मेड़ता सिटी. दूदासागर से सफेद कमल तोड़कर लाते संत महेश गिरी।

दूधासागर में डूबकी लगा महादेव को चढ़ाने सफेद कमल तोड़ लाते हैं संत महेश गिरी

मेड़ता सिटी (नागौर). मेड़ता के दूधासागर के पास बगस्थली माता मंदिर में रहने वाले संत महेश गिरी की उम्र भले ही 72 वर्ष हो गई हो लेकिन उनके शरीर में जुनून और आवाज आज भी 25 वर्ष के युवा जैसी है। यहां उम्र आस्था पर भारी पड़ रही है। यह संत रोजाना पास ही के दूधासागर सरोवर में उतरकर गहरे पानी में जाकर बगस्थली माता व भगवान शिव को अर्पित करने के लिए पुष्प तोड़कर लाते हैं। बाबा का यहीं क्रम पिछले 1 साल से चल रहा है।

कहते हैं अगर कुछ करने का जुनून हो तो व्यक्ति किसी भी चुनौती और परिस्थिति में ढल जाता है। संत महेश गिरी की उम्र ने 70 के आंकड़े को पार कर लिया है, लेकिन उनको देखकर ऐसा कुछ भी लगता नहीं है। दरअसल, दूधासागर सरोवर के पास बगस्थली माता और नागेश्वर महादेव मंदिर में पिछले 1 साल से संत महेश गिरी और साध्वी श्याम गिरी रह रही है। जो मूलत: पादूकलां के खुलखुलियाभैरू मंदिर से यहां आए हैं। अब इन दोनों संत-साध्वी का पिछले एक वर्ष से यह क्रम नित्य चला आ रहा है। दोनों दूधासागरसराेवर के पास सुबह-सुबह जल्दी जाते हैं। फिर संत महेश गिरी सरोवर में उतरते हैं और यहां खिलने वाले सफेद कमल के पुष्प को तोड़कर लाते हैं। फिर यह कमल के पुष्प मंदिर स्थित बगस्थली माता और नागेश्वर महादेव को अर्पित करते हैं। संत का यह कार्य देखने के लिए शहर के लोग भी दूधासागर आते हैं।

मंदिर में नियमित करते हैं अनुष्ठान व पूजन

सुधीर ओझा ने बताया कि पिछले 1 साल से यही रह रहे संत महेश गिरी महाराज और साध्वी श्यामा गिरी की ओर से बगस्थली माता मंदिर की नियमित रूप से देखभाल की जा रही है। दोनों यहां रोजाना वैदिक अनुष्ठान करते हैं। वहीं साथ ही सुबह-शाम बगस्थली माता और नागेश्वर महादेव की आरती, पूजा-अर्चना भी करते हैं। यहां दर्शन करने के लिए भी शहर के श्रद्धालु आते हैं।

दूधासागर में सफेद तो विष्णुसागर में खिलते हैं लाल कमल

उल्लेखनीय है कि शहर के प्राचीन दूधासागर सरोवर में सफेद कमल तो पवित्र विष्णुसागर सरोवर में वर्षों से लाल कमल के फूल खिलते हैं। लाल और सफेद गुलाब की माला भी नगर सेठ चारभुजानाथ, भक्त शिरोमणि मीराबाई चढ़ाई जाती है। अब दूधासागर पर रहने वाले संत महेश गिरी महाराज ने बगस्थली माता व नागेश्वर महादेव को यह पुष्प अर्पित करने की परम्परा शुरू की है।

Published on:
14 Sept 2025 06:02 pm
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