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बिना सूचना बोर्ड लगाए सड़कों का निर्माण, सवालों के घेरे में गुणवत्ता

भ्रष्टाचार व चोरी के चलते आमजन को सूचना देने से बचते हैं ठेकेदार और अधिकारी, इसलिए नहीं लगाते बोर्ड, विभाग का नियम पर पालना नहीं करते ठेकेदार, सार्वजनिक निर्माण विभाग की सड़कों का निर्माण शुरू करने से पहले लगाना होता है नागरिक सूचना बोर्ड, ताकि आमजन को रहे जानकारी

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विभाग का नियम पर पालना नहीं करते ठेकेदार

नागौर. सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की सड़कों के निर्माण को लेकर पारदर्शिता तय करने के लिए विभाग के स्पष्ट नियम और सर्कुलर मौजूद हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट नजर आती है। सड़क निर्माण कार्य शुरू करने से पहले नागरिक सूचना बोर्ड लगाना अनिवार्य होता है। इसके बावजूद जिले में अधिकांश स्थानों पर ठेकेदार और संबंधित अधिकारी इसकी अनदेखी कर रहे हैं। इससे आमजन को सड़कों पर खर्च होने वाले बजट सहित अन्य जानकारी नहीं मिल पाती है। ठेकेदार भी निर्धारित मापदंडों को ताक पर रखकर घटिया क्वालिटी की सड़कें बना देते हैं। यही वजह है कि सड़क निर्माण में घटिया निर्माण को लेकर शिकायतें बढ़ रही हैं।

पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता कार्यालय की ओर से जारी सर्कुलर के अनुसार, राज्य योजनाओं के तहत स्वीकृत प्रत्येक सड़क कार्य पर नागरिक सूचना बोर्ड लगाना अनिवार्य है। नियमों के मुताबिक 10 किलोमीटर तक की सड़क पर कम से कम दो बोर्ड - एक शुरुआत में और एक अंतिम छोर पर लगाने होते हैं। वहीं, 10 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कों के लिए हर 5 किलोमीटर की दूरी पर अतिरिक्त बोर्ड लगाना जरूरी है। इन बोर्डों पर सड़क की कुल लंबाई, लागत, कार्य का स्वरूप (डामर रोड, ग्रेवल रोड, सीसी रोड), ठेकेदार का नाम, कार्य प्रारंभ और समाप्ति की तिथि, संबंधित अभियंताओं और अधिकारियों के नाम सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां अंकित करनी होती हैं। इसके बावजूद नागौर जिले में कई सड़कों पर बिना किसी सूचना बोर्ड के निर्माण कार्य शुरू कर दिए जाते हैं।

जानकारों का कहना है कि सूचना बोर्ड नहीं लगाने के पीछे भ्रष्टाचार और चोरी की आशंका प्रमुख कारण है। यदि बोर्ड पर पूरी जानकारी सार्वजनिक हो जाए तो आमजन की निगरानी बढ़ेगी, जिससे घटिया सामग्री, अधूरा काम और लागत में गड़बड़ी छिपाना मुश्किल हो जाएगा।

लोगों का मानना है कि यदि सड़क निर्माण शुरू होने से पहले ही नागरिक सूचना बोर्ड लगाए जाएं, तो आधी से ज्यादा शिकायतें स्वतः ही समाप्त हो सकती हैं। आम आदमी को यह पता रहेगा कि सड़क कितनी लंबी बनेगी, कब तक काम पूरा होना है और जिम्मेदार कौन है। इससे समय पर सवाल उठाए जा सकेंगे और जवाबदेही तय होगी।

सर्कुलर में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सूचना बोर्ड सड़क पर स्पष्ट और दिखाई देने वाली जगह पर लगाए जाएं। यह व्यवस्था न केवल नए बल्कि जारी कार्यों पर भी तुरंत प्रभाव से लागू होगी। इसके बावजूद विभागीय स्तर पर निगरानी की कमी और ठेकेदारों की मनमानी के चलते नियम कागजों तक ही सीमित नजर आ रहे हैं। पीडब्ल्यूडी और जिला प्रशासन सर्कुलर को इसका सख्ती से पालना करवाना चाहिए। नागरिक सूचना बोर्ड लगाना केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि पारदर्शिता और जनहित से जुड़ा अहम कदम है, जिसकी अनदेखी पर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है।