अंगदान को लेकर लोगों की सोच बदली है, लेकिन कई ऐसे भी कारण है जिनके चलते जरूरतमंद को अंग नहीं मिल पाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है अस्पतालों में रिट्रिवल सेंटर नहीं होना। जिससे अंगों को सुरक्षित रखा जा सके। ग्रीन कॉरिडोर जैसी दिक्कतों के अलावा अन्य कई सामाजिक कारण भी प्रमुख है
देश में लीवर दान संकल्प के प्रति काफी जागरूकता बढ़ी है। फिर भी बड़ी संख्या में पीडि़तों का लीवर के लिए इंतजार खत्म नहीं हो रहा है। अंगदान को लेकर लोगों की सोच बदली है, लेकिन कई ऐसे भी कारण है जिनके चलते जरूरतमंद को अंग नहीं मिल पाता है। इसका सबसे बड़ा कारण है अस्पतालों में रिट्रिवल सेंटर नहीं होना। जिससे अंगों को सुरक्षित रखा जा सके। ग्रीन कॉरिडोर जैसी दिक्कतों के अलावा अन्य कई सामाजिक कारण भी प्रमुख है।
स्वास्थ्य मंत्रालय और नेशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (एनओटीटीओ) के आंकड़े बताते है कि भारत में हर साल करीब 2 लाख मरीजों को लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। स्थिति यह है कि मात्र तीन हजार रोगियों के ही लीवर ट्रांसप्लांट हो पाते हैं। दस में से केवल एक रोगी को समय पर लीवर मिल पाता है।
बीते कुछ वर्षों में सरकार और सामाजिक संगठनों की ओर से चलाए जा रहे अंगदान जागरूकता अभियानों का बड़ा असर नजर आ रहा है। खासकर युवा पीढ़ी में लीवर दान को लेकर सकारात्मक सोच आई है। नोटो के अनुसार साल 2024 में करीब 1.5 लाख से अधिक लोगों ने अंगदान के लिए ऑनलाइन पंजीयन करवाया है। इनमें से करीब 40 प्रतिशत ने लीवर दान पर सहमति जताई है।
ऑर्गन डोनेशन का संकल्प लेने वालों में लीवर दान सबसे अधिक है। राजस्थान में अब तक कुल 43387 लोग अंगदान की शपथ ले चुके है। जिनमें से सर्वाधिक 27998 संकल्प लीवर दान के हैं। दूसरे नम्बर पर हार्ट दान का संकल्प है। स्टेट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ टिश्यू एंड ऑर्गन ट्रांसप्लांट (सोटो) के अनुसार लीवर के लिए राजस्थान में 314 रोगी वेटिंग में है।
शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग लीवर माना जाता है। आधुनिक समय में गलत खान-पान की आदतों, गतिहीन जीवनशैली, एल्काहोल और वायरल संक्रमण लीवर को क्षति पहुंचा रहे है। इसके कारण फैटी लीवर, सिरोसिस और कैंसर व हेपेटाइटिस जैसी बीमारियां हो रही है, जो जानलेवा साबित होती है।
इस साल लीवर दिवस की थीम ‘फूड इज मेडिसिन’ रखी गई है। थीम का उद्देश्य यह है कि संतुलित भोजन जीवन में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। जिससे लीवर स्वस्थ रहता है। फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार ही बीमारी को रोकने और लीवर को बेहतर बनाने में मदद करता है। विश्व यकृत दिवस की शुरुआत 2010 में यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ द लीवर ने की थी। स्थापना का उद्देश्य लीवर संबंधित बीमारियों के बढ़ते बोझ और शीघ्र पहचान तथा रोकथाम की आवश्यकता और जागरूकता पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना है।
लीवर डोनेशन शपथ : देश के टॉप 5 राज्य
महाराष्ट्र : 37746
राजस्थान : 27998
गुजरात : 25020
मध्यप्रदेश : 14550
कर्नाटक : 18587
स्रोत…एनओटीटीओ