नागौर

नागौर के जेएलएन अस्पताल में फायर ड्रिल नहीं, अग्निशमन यंत्र जर्जर, क्या सुरक्षित हैं हमारे मरीज?

जिला अस्पताल में आग से सुरक्षा के लिए सिस्टम फेल, न फायर फाइटिंग सिस्टम और न हुई साढ़े चार साल से हुई मॉक ड्रिल, जिला मुख्यालय का अस्पताल आग से सुरक्षा के लिए नहीं है तैयार

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Oct 07, 2025

नागौर. जिला मुख्यालय के पंडित जेएलएन राजकीय जिला अस्पताल एवं पुराना अस्पताल भवन में संचालित एमसीएच विंग में फायर फाइटिंग सिस्टम फेल है। जेएलएन में लगाया गया फायर फाइटिंग सिस्टम जहां दो साल से खराब पड़ा है, वहीं एमसीएच विंग में मरम्मत पर लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद फायर फाइटिंग सिस्टम लगाया ही नहीं गया, जबकि अस्पताल के लिए यह पहली प्राथमिक है। प्राइवेट अस्पताल को संचालन की अनुमति तब तक नहीं मिलती, जब तक कि संचालक फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगा ले। ऐसे में सरकार अस्पतालों में मरीजों की जान से सरकार के नुमाइंदे खिलवाड़ कर रहे हैं।

जेएलएन अस्पताल में फायर सेफ्टी सिस्टम फेल

रविवार रात को जयपुर के एसएमएस अस्पताल की तरह यदि जेएलएन अस्पताल या एमसीएच विंग में कहीं आग लग गई तो बड़ा हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि जेएलएन अस्पताल के फायर फाइटिंग सिस्टम की वितरण प्रणाली में लगे पाइप, नोजल, वाल्व और सिलेंडर आदि कई जगह से गायब हो चुके हैं। अस्पताल में कुछ जगह स्मॉकडिटेक्शन सिस्टम लगा है, लेकिन खराब है। जबकि फिक्स्ड फायर फाइटिंग सिस्टम में डिटेक्शन सिस्टम रक्षा की पहली आपश्यकता होती है। इसमें हीट सेंसर, स्मोक डिटेक्टर और अलार्म आदि शामिल हैं, जो आग या धुएं की उपस्थिति का पता लगाकर सायरन बजाते हैं। वहीं दूसरी एमसीएच विंग में अग्निशमन यंत्र के अलावा कुछ नहीं है।

साढ़े चार साल में नहीं हुई मॉक ड्रिल

जेएलएन अस्पताल में करीब साढ़े चार साल पहले चक्रवाती तूफान तौकते की आशंका को देखते हुए आग लगने की घटना को लेकर मॉक ड्रिल की गई थी। हालांकि उस समय भी कई व्यवस्थाओं की पोल खुली थी, जिसको लेकर तत्कालीन जिला कलक्टर ने सुधार के निर्देश दिए थे, लेकिन आज भी स्थिति जस की तस है। पिछले चार साल में न तो मॉक ड्रिल की गई और न ही अस्पताल के स्टाफ को फायर ड्रिल की ट्रेनिंग दी गई। पिछले लम्बे सयम से फायर सेफ्टी ऑडिट भी नहीं हुई।

जेएलएन अस्पताल में फायर सेफ्टी के लिए स्मॉक डिटेक्टर लगे हैं, लेकिन खराब है

शिफ्ट करते ही उठा था धुआं

एमसीएच विंग को पुराना अस्पताल भवन में शिफ्ट करने के कुछ दिन बाद ही बच्चों के वार्ड में शॉर्ट सर्किट होने से धुआं उठा था। हालांकि जिम्मेदारों ने बात को दबा दिया, लेकिन आग बुझाने के लिए कोई बंदोबस्त नहीं किए।

डर लगता है यहां

सोमवार को जेएलएन अस्पताल में एक मरीज के साथ आए उसके परिजन रामचंद्र ने बताया कि जयपुर के एसएमएस अस्पताल में लगी आग के बाद ऐसा लग रहा है कि अस्पतालों में फायर फाइटिंग सिस्टम होना आवश्यक है। जेएलएन अस्पताल में सिस्टम ही फेल है तो आग कैसे बुझेगी। यहां तो भवन भी जगह-जगह से जर्जर है, ऐसे में यहां डर ही लगता है, लेकिन मजबूरी है कि इलाज कराने आना पड़ता है।

जेएलएन अस्पताल के एमसीएच विंग में फायर सेफ्टी सिस्टम है ही नहीं 

जिम्मेदार बोले - बजट आएगा तो ठीक होगा सिस्टम

(जेएलएन अस्पताल के पीएमओ डॉ. आरके अग्रवाल से पत्रिका की सीधी बात)

प्रश्न - जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल का फायर फाइटिंग सिस्टम दो साल से खराब पड़ा है, ठीक क्यों नहीं हो रहा?

जवाब - फायर फाइटिंग सिस्टम की वास्तविक स्थिति को लेकर उच्चाधिकारियों को अवगत करवा रखा है। खर्च का तकमीना बनवाया था, जिसकी डिमांड को लेकर उच्चाधिकारियों को पत्र लिख दिया है। बजट आने पर ठीक करवा दिया जाएगा।

प्रश्न - अस्पताल में दो साल से फायर फाइटिंग सिस्टम बंद पड़ा है, हादसा बताकर नहीं होगा। ऐसे में बजट कब तक आ जाएगा?

जवाब - हमने जल्द से जल्द बजट देने के लिए कहा है, हमारे पास तो बजट है नहीं, आने पर ही काम होगा।

प्रश्न - कितना बजट मांगा है?

जवाब - 30 लाख का तकमीना बनाया था, वो ही मांगा है।

प्रश्न - पहले जो सिस्टम लगा हुआ था, उसके उपकरण आदि गायब हो गए, इसमें किसकी लापरवाही रही?

जवाब - लापरवाही नहीं रही, मरम्मत नहीं हो पाई। मरम्मत के लिए पैसे चाहिए और वो हमारे पास है नहीं।

प्रश्न : बजट मांगे हुए कितना समय हो गया?

जवाब - पिछले एक साल से पत्र लिख रहे हैं।

Updated on:
07 Oct 2025 11:54 am
Published on:
07 Oct 2025 11:50 am
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