डीडवाना में कस्टोडियन भूमि किसानों को आवंटित करने की मांग पर प्रदर्शन हिंसक हो गया। कलेक्ट्रेट घेराव के दौरान पुलिस लाठीचार्ज में लाडनूं विधायक मुकेश भाकर का पैर टूट गया। किसानों ने धरना देकर विरोध जताया।
डीडवाना (नागौर): कस्टोडियन भूमि किसानों को आवंटित करने की मांग को लेकर चल रहे धरना प्रदर्शन में सोमवार को पुलिस ने लाठियां भांज दी, जिसमें लाडनूं से कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर का पैर टूट गया। कलेक्ट्रेट गेट के बाहर सभा के बाद कलक्टर को ज्ञापन सौंपने के दौरान विधायक अन्य नेताओं के साथ कलेक्ट्रेट में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे।
बता दें कि इसी दौरान उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया और भगदड़ में विधायक का पैर टूट गया। उनके समर्थक विधायक को निजी अस्पताल ले गए, जहां पैर पर प्लास्टर चढ़ाने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।
किसान संघर्ष समिति, अखिल भारतीय किसान सभा के बैनर तले सोमवार को प्रदर्शन और घेराव किया गया। कलक्ट्रेट के मुख्य द्वार के बाहर सभा हुई। नेताओं ने किसानों के साथ धरना दिया। सभा के बाद बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि किसानों के साथ कलक्टर को ज्ञापन देने के लिए कलक्ट्रेट में घुसने का प्रयास करने लगे, जिन्हें पुलिस ने बेरीकेड्स लगाकर रोक दिया।
नेताओं और किसानों की भीड़ को देखते हुए भारी पुलिसबल तैनात था। इस दौरान कलक्ट्रेट में घुसने के दौरान प्रदर्शनकारी और पुलिस आमने-सामने हो गए। पुलिस ने बल प्रयोग किया तो विधायक भाकर का एक पैर फ्रेक्चर हो गया, जिसके बाद सभी लोग मौके पर धरने पर बैठ गए।
काफी देर तक चली नारेबाजी के बाद एक प्रतिनिधिमंडल के कलक्टर से मिलने पर सहमति बनी, जिसके बाद किसानों की मांगों को लेकर एक मांग पत्र कलक्टर को सौंपा गया।
पूर्व राज्यसभा सांसद वृंदा करात ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, एक इंच जमीन सरकार को नहीं देंगे। सरकार कानून की धज्जियां उड़ाकर हमारे पूर्वजों की जमीन छीनने का काम कर रही है।
कस्टोडियन भूमि हमारे पूर्वजों की भूमि है, इसको हम छीनने नहीं देंगे। जब किसी परिवार को बेदखल किया जाता है, बुलडोजर चलाया जाता है उसकी सबसे ज्यादा चोट महिलाओं को लगती है।
सचिन पायलट ने सोशल मीडिया पर लिखा, डीडवाना में कस्टोडियन भूमि किसानों को आवंटित करने के मुद्दे को लेकर चल रहे प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा किए गए बल प्रयोग से विधायक मुकेश भाकर के पैर में फ्रैक्चर होने की घटना अत्यंत निंदनीय है। पुलिस प्रशासन द्वारा एक जनप्रतिनिधि के साथ किया गया यह दुर्व्यवहार अमानवीय है। सरकार को किसानों की आवाज दबाने की बजाय उनके हक को सुनना चाहिए और उनके साथ न्याय करना चाहिए।
भारत-पाक विभाजन के दौरान 1947 में बड़ी संख्या में मुस्लिम परिवार पाकिस्तान चले गए थे। उनके पलायन के बाद डीडवाना के लगभग 19 गांवों में उनकी जमीनों को कस्टोडियन भूमि घोषित कर दिया गया। इन जमीनों पर किसान परिवार तभी से खेती कर रहे हैं।
पिछले दिनों जिला प्रशासन ने इन जमीनों को अपने संरक्षण में लेना शुरू किया था, जिसे लेकर किसान आक्रोशित है। इसी के विरोध में यह धरना प्रदर्शन शुरू किया गया। प्रदर्शन में भाकपा (मार्क्सवादी) की नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद वृंदा करात, सीकर सांसद अमराराम, पूर्व विधायक चेतन डूडी, विधायक मुकेश भाकर, पूर्व विधायक बलवान पूनिया, भागीरथ यादव और भागीरथ नेतड़ सहित अन्य नेता मौजूद रहे।
सांसद अमराराम ने कहा, जमीन किसानों को अलॉट होनी चाहिए। जो किसान तीन पीढियां से खेती कर रहे हैं। उनका बिना नोटिस दिए ही स्वायचक घोषित कर दिया गया। 2011 में घोषणा की गई और 2024 में बोर्ड लगाने आ गए, ऐसा नहीं होने देंगे।
विधायक मुकेश भाकर ने कहा, किसानों से सरकार उनकी जमीन छीन रही है। पुलिस बर्बरता कर रही है।
पूर्व विधायक बलवान पूनिया ने कहा, जो पीढ़ियों से जमीन किसान कास्त कर रहे हैं। उस जमीन को छीन नहीं सकते। पूर्व विधायक चेतन डूडी ने कहा कि हम किसानों के साथ खड़े हैं। किसानों के साथ इस तरह का अत्याचार अन्याय सरकार बंद करे।
कलक्टर कार्यालय का घेराव करने के लिए भारी भीड़ जुटाई गई। इस दौरान पुलिस और किसान नेता सभी आमने-सामने हो गए, बैरिकेडिंग को नीचे गिरा दिया गया। प्रदर्शन में किसान नेता भागीरथ यादव सबसे पहले बैरिकेडिंग पर खड़े हो गए।
प्रदर्शन करते हुए कलेक्टर कार्यालय में जबरन घुसने का प्रयास किया। इस दौरान पूर्व विधायक चेतन डूडी, लाडनूं विधायक मुकेश भाकर, एसएफआई के नेता जगदीश गोदारा, सीकर सांसद अमराराम, पूर्व विधायक बलवान पूनिया भी बैरिकेडिंग पर चढ़ गए।