नागौर

राजस्थान के नागौर में नमक जांच लैब बंद, गुणवत्ता पर संकट गहराया, 2000 करोड़ के कारोबार पर उठा सवाल

नागौर जिले में नावां शहर की नमक मंडी में गुणवत्ता संकट गहरा गया है। यहां स्थापित नमक परीक्षण प्रयोगशाला के बंद होने से गुणवत्ता जांच ठप है। दर्जनों नमक प्लांट और रिफाइनरियां अब केवल सेल्फ डिक्लेरेशन के आधार पर देशभर में सप्लाई कर रही हैं।

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Jul 09, 2025
नमक जांच लैब बंद (फोटो- पत्रिका)

-दीपक शर्मा
नावां शहर (नागौर):
पानी, खाद्य सामग्री और सब्जियों में अशुद्धता के बाद अब नमक की गुणवत्ता से हो रहे खिलवाड़ ने आमजन की सेहत के लिए एक नया संकट पैदा कर दिया है। हम बात कर रहे हैं, राजस्थान की सबसे बड़ी नमक मंडी नावां की, जहां स्थापित नमक परीक्षण प्रयोगशाला बंद होने से नमक की गुणवत्ता जांच का कार्य ठप पड़ा है।


ऐसे में दर्जनों नमक प्लांट, रिफाइनरियां और वासरी स्वयं के घोषणा पत्र (सेल्फ डिक्लेरेशन) के आधार पर देश भर में नमक की आपूर्ति कर रही हैं। इससे खाद्य नमक की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। नमक की गुणवत्ता जांच की वर्तमान व्यवस्था के तहत न तो काउंटर साइन हो रहे हैं, न क्वालिटी कंट्रोल और न ही सांख्यिकी विभाग की कोई भूमिका रही है। जबकि नावां में प्रतिवर्ष औसतन 20 लाख मैट्रिक टन नमक तैयार होता है।

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तीन माह से प्रयोगशाला पर ताला


सूत्रों के अनुसार, नमक विभाग जयपुर ने करीब तीन माह पहले नावां में स्थापित नमक जांच प्रयोगशाला को बंद करने के आदेश दिए थे, तभी से प्रयोगशाला पर ताला लटका हुआ है। इससे रेलवे को भी लाखों रुपए के घाटे की आशंका सता रही है। वहीं, करीब दो हजार करोड़ के इस सालाना कारोबार की पारदर्शिता पर भी सवाल उठने लगे हैं।


श्रेणी अनुसार नहीं हो रहा नमक का लदान


नावां में स्थापित नमक उपनिरीक्षक कार्यालय जिसके ताले लग गए हैं। रेलवे की ओर से निर्धारित लदान मानकों के अनुसार, नमक को श्रेणीबद्ध करके उसकी क्वालिटी और उपयोगिता के अनुसार वैगनों में भरा जाता है, लेकिन नावां में ग्रेडिंग प्रक्रिया पूरी तरह ठप है। इससे गुणवत्ताहीन नमक बाजार में पहुंच रहा है।


वहीं, सही ग्रेड का नमक गलत श्रेणी के वैगनों में लदान करने से रेलवे को प्रति रैक हजारों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। दूसरी ओर नावां में नमक उप अधीक्षक कार्यालय बंद होने से छोटे नमक प्लांट व वासरी संचालकों को रेलवे से मिलने किराए की छूट भी बंद हो गई है।


उद्योग विभाग की ढिलाई


नमक कारोबार की निगरानी और सत्यापन का जिम्मा उद्योग विभाग नागौर के पास है। विभाग सिर्फ नागौर कार्यालय तक सीमित रह गया है। जबकि नमक कारोबार डीडवाना-कुचामन जिले में सबसे ज्यादा है। यहां लगी 25 से अधिक रिफाइनरियों, दर्जनों प्लांट व वासरी निकाले गए नमक को रेल के जरिए अन्य राज्यों में भेजती हैं। वर्तमान में यह नमक बिना किसी आधिकारिक प्रमाणन के सेल्फ डिक्लेरेशन के आधार पर भेजा जा रहा है।


क्या कहते हैं अधिकारी


नावां में नमक विभाग का कार्यालय व प्रयोगशाला बंद हो गई है। सेल्फ डिक्लेरेशन के आधार पर ट्रेन में नमक लदान किया जा रहा है। हमारी ओर से कोई काउंटर साइन व जांच नहीं की जाती है। उद्योग विभाग का कार्यालय नागौर जिले में स्थापित है।
-धर्मेंद्र कुमार, लवण निरीक्षक, उद्योग विभाग, नागौर


नमक की गुणवत्ता जांच सहित अनेक विषयों पर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। नावां का नमक विभाग कार्यालय तथा जांच प्रयोगशाला लैब बंद है।
-डॉ. ताराचंद तंवर, नमक उपायुक्त, जयपुर


क्या कहना है एक्सपर्ट का


अशुद्ध नमक में आयोडीन के अलावा पोटेशियम, जिंक, मैग्नीशियम जैसे कई खनिज अत्यधिक मात्रा में मौजूद होते हैं, जिनकी शरीर को जरूरत नहीं होती। इनकी अधिकता शरीर के लिए ज़हरीली हो जाती है। अशुद्ध नमक खाने से लिवर और किडनी डैमेज हो सकती है। साथ ही मस्तिष्क पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। यह हड्डियों को कमजोर करता है और यदि किसी को पहले से कैंसर है तो यह उसकी प्रगति को तेज कर सकता है। यानी मौजूद कैंसर को बढ़ा सकता है।
-डॉ. सीएल नवल, वरिष्ठ चिकित्सक, एसएमएस अस्पताल

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Published on:
09 Jul 2025 08:06 am
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