mp news- मध्य प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगने से उपभोक्ता पहले से ही नाराज हैं। ऊपर से बिजली कंपनी 10 दिन के अंदर कई जगह बिल जारी कर आग में घी डालने का काम कर रही है।
mp news- नागदा में बीते महीने स्मार्ट मीटरों (smart meters) के कारण उपभोक्ताओं को औसतन दो से तीन गुना अधिक बिजली बिल भेजे जाने पर विरोध के स्वर तेज हुए थे। इस मुद्दे को पूर्व विधायक दिलीप गुर्जर द्वारा विधानसभा में उठाए जाने और मामले के कोर्ट तक पहुंचने के बाद, विद्युत वितरण कंपनी ने अब 20 दिन की रीडिंग पर आधारित बिल जारी किए हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस बार कंपनी ने माह की पहली तारीख को ही मीटर रीडिंग करवाई और 10 दिन पहले बिल तैयार कर दिए। उपभोक्ताओं का आरोप है कि यह कदम जनता में बढ़ती नाराजगी और आलोचना को कम करने की कोशिश है। क्योंकि जब केवल 20 दिन की खपत का बिल भेजा गया, तो वह तुलनात्मक कम प्रतीत हो रहा है, जिससे आम उपभोक्ता को भ्रम हो सकता है।
स्थानीय नागरिकों ने इसे विद्युत कंपनी की छवि बचाने की रणनीति बताया है। उनका कहना है कि कंपनी इस तरह पूरा माह न दिखाकर आंशिक रीडिंग के जरिये वास्तविक उपभोग छिपाने का प्रयास कर रही है।
एक उपभोक्ता ने टिप्पणी की, यह पब्लिक है, सब जानती है। छोटे बिल भेजकर नाराजगी कम करने की कोशिश हो रही है। पूर्व की प्रणाली में हर माह की 10 तारीख के बाद मीटर रीडिंग की जाती थी, जबकि इस बार महज़ । तारीख को ही रीडिंग ली गई, जिससे बिल की अवधि केवल 20 दिन की रह गई। यह भी एक सोचने का विषय बन गया है कि क्या उपभोक्ताओं को वास्तविक उपयोग का पूरा आंकलन आने वाले बिल (electricity bills) में जोड़कर किया जाएगा या फिर यह अस्थायी राहत है।
बिजली कंपनी के इंजीनियर मेहरबान सिंह सूर्यवंशी ने बताया कि तकनीकी समस्या की वजह से बिजली बिल का मैसेज आने में देरी हो रही है। हालांकि स्मार्ट मोटर स्वतः ही महीने की आखिरी तारीख को रीडिंग ले लेता है।
इसके अलावा उपभोक्ताओं ने यह भी शिकायत की है कि मेंटिनेंस के नाम पर दिन में तीन से चार बार बिजली आपूर्ति बाधित होना आम हो गया है, जिसकी पूर्व सूचना अधिकांश बार नहीं दी जाती। 2-3 घंटे की कटौती अब रुटीन बन चुकी है। इससे न सिर्फ घरेलू उपभोक्ता बल्कि व्यवसायी वर्ग भी प्रभावित हो रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है यदि उज्जैन संभाग की स्थिति ऐसी है, तो प्रदेश के अन्य हिस्सों की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। नागरिकों ने वरिष्ठ अधिकारियों से हस्तक्षेप की मांग करते हुए आग्रह किया है कि भारी-भरकम बिलों और लगातार बिजली कटौती के मामलों की गंभीरता से जांच हो। तभी लोगों का भरोसा जीता जा सकता है।