MP News: गहराई से पड़ताल में राजस्व विभाग में चल रहे फर्जीवाड़े के साथ ही जमीन माफियाओं के मंसूबों का भी भांडा फोड़ दिया है।
MP News: अक्सर जमीन की सीमा को लेकर विवाद आपने सुने होंगे, लेकिन किसी दूसरे गांव की जमीन को अन्य गांव में दर्शाकर उसके नकली मालिक बनाए जाने का कारनामा आपने अब तक नहीं सुना होगा। यह अनहोनी नागदा तहसील में घटित हुई है। झूठ को सच साबित करने के लिए राजस्व अमले के साथ सांठगांठ कर फर्जी जमीन मालिकों ने खुद को सही साबित करने के कई जतन भी किए, मगर गहराई से पड़ताल में राजस्व विभाग में चल रहे फर्जीवाड़े के साथ ही जमीन माफियाओं के मंसूबों का भी भांडा फोड़ दिया है।
वहीं इस तरह के फर्जीवाड़ों के लिए जिम्मेदार पटवारी से लेकर तहसीलदार लिपिकीय त्रुटि का बहाना बनाकर महज खेद जताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। ऐसे में राजस्व विभाग में चल रहे इस तरह के गोरखधंधे का खामियाजा लोगों को सालों तक कोर्ट चक्कर लगाने के रूप में भुगतना पड़ सकता है।
शहर से सटे ग्राम बनबना में हाल ही में जिंदा व्यक्ति को मृत बताकर नामांतरण का मामला सामने आया था। पत्रिका टीम ने जब बनबना के ही इस फर्जीवाड़े की तहकीकात की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए । जिस जमीन पर पीरुलाल नाम के दो अलग-अलग लोग अपना मालिकाना हक जताकर अपनी पैतृक जमीन मादुजी के नाम से होने का दावा कर रहे हैं, वास्तव में वह जमीन मादुजी के नाम पर कभी थी ही नहीं।
पत्रिका ने जब राजस्व विभाग के दस्तावेजो को खंगाला तो सामने आया कि कि इस जमीन पर पहले भी बंटवारा प्रकरण में गोलमाल हो चुका है। खास बात यह है कि यह जमीन लच्छीबाई पति किशन के नाम से राजस्व रिकार्ड में दर्ज थी, ऐसे में जमीन के वारिसन किशन के बेटे और बेटियां होना थी, लेकिन जमीन का बंटवारा मादुजी के बेटों के मध्य हो गया है।
राजस्व रिकॉर्ड के खसरा नकल में बंटवारा प्रकरण क्रमांक 0112/अ-27/2021-22 की तारीख 15 अक्टूबर 2022 के माध्यम से पीरुलाल पिता मादुजी का नाम सर्वे क्रमांक 12, 28 और 31/1 पर दर्ज होना दर्शाया गया है। टीम ने जब राजस्व विभाग के माध्यम से उक्त बंटवारा प्रकरण क्रमांक निकलवाया तो और हैरान करने वाली जानकारी सामने आई। जिस बंटवारा प्रकरण क्रमांक 0112/अ-27/2021-22 का हवाला देकर पीरुलाल पिता मादुजी का नाम जमीन पर दर्ज किया गया, वह असल में गांव बनबना की जगह गांव लसुडिय़ा जयसिंग के भारत, भेरुलाल पिता मानसिंह चौधरी का था।
उक्त बंटवारा प्रकरण पर तत्कालीन तहसीलदार सर्वेश कुमार यादव के हस्ताक्षर भी है। बता दे कि बंटवारा प्रकरण पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर होता है, उक्त बंटवारा प्रकरण गांव बनबना के तत्कालीन पटवारी और वर्तमान में जूना नागदा के पटवारी अमित पालीवाल के कार्यकाल का है।
गांव बनबना में ही सरकारी जमीन का नामांतरण करने का मामला भी सामने आया है, खास बात यह है कि यह मामला भी पीरुलाल पिता मादुजी के परिवार का ही है। उनके बेटे संजय पिता पीरुलाल ने गांव के सर्वे क्रमांक 525 स्थित भूखंड क्रमांक 97 जो सत्यनारायण परमार के नाम से आवास का दर्ज था, उसे 2025 में खरीदा। इस आवास के नामांतरण में गड़बड़ी सामने आई है। चूंकि सर्वे क्रमांक 525 शासकीय जमीन है, तो इसकी खरीद फरोख्त नहीं हो सकती है।
बावजूद इसे बेचा गया। वहीं तहसीलदार न्यायालय ने भी बकायदा नियमों को परे रख इसका नामांतरण भी कर दिया गया। यहां पटवारी पूजा राठौर की रिपोर्ट पर तहसीलदार मुकेश सोनी ने भी नामांतरण कर दिया। तहसीलदार के आदेश में खसरा नंबर 97 दर्ज किया गया और रकबा 13.00 हैक्टेयर बता दिया गया, जबकि वास्तविकता में यह 0.0013 हेक्टेयर है, जो आदेश में ही दूसरे पेज पर भी दर्ज है।
राजस्व विभाग के दस्तावेजों के मुताबिक खसरा नकल में 2005 से 2015 तक सर्वे क्रमांक 12, 28 और 31/1 जमीन लच्छीबाई पति किशन के नाम दर्ज रही। 2015 में लच्छीबाई की मौत के बाद यह जमीन वारिस बसंतीलाल, पीरुलाल, सांवत्त्राबाई और श्यामूबाई पिता किशन के नाम दर्ज हुई। 2021 तक इन चारों के नाम जमीन चलती रही।
राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक अक्टूबर 2022 में बंटवारा प्रकरण का हवाला देकर जमीन पीरुलाल पिता मादुजी के नाम दर्ज कर दी गई। यहां सवाल यह उठता है कि लच्छीबाई के पति का नाम किशन था, और फौती नामांतरण में भी वारिसों के पिता का नाम किशन था, तो बंटवारा प्रकरण में मादुजी कैसे तब्दील हो गया।
मामला पुराना होने के कारण मेरे ध्यान में नहीं हे, दस्तावेज देखने के बाद ही में कुछ कह पाऊंगा -अमित पालीवाल, पटवारी