9 साल पहले उरी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था, जब जम्मू-कश्मीर में पिछले दो दशकों का सबसे बड़ा सैनिक नुकसान हुआ। 18 सितंबर 2016 को जो हुआ, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
Uri Attack: 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हमले में 18 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जो पिछले दो दशकों में सेना का सबसे बड़ा नुकसान था। नौ साल बाद भी यह घाव ताजा है, जिसने भारत को सर्जिकल स्ट्राइक जैसे साहसिक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।
भोर से ठीक पहले, सुबह 5:30 बजे चार आत्मघाती आतंकवादी उरी के ब्रिगेडर हेडक्वार्टर में घुस आए। नियंत्रण रेखा के पास स्थित इस बेस पर बटालियन बदलने की प्रक्रिया चल रही थी। 10 डोगरा बटालियन के स्थान पर नई बटालियन आ रही थी, जिसके चलते सैनिकों की संख्या दोगुनी थी। कई सैनिक तंबुओं में सो रहे थे। आतंकियों ने इसका फायदा उठाया और डेढ़ दर्जन से ज्यादा ग्रेनेड फेंके, जिससे आग फैल गई। एके-47 राइफलों से लैस आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसने शिविर को युद्धक्षेत्र में बदल दिया।
हमले में 18 सैनिक शहीद हुए और 30 से ज्यादा घायल हो गए। सेना ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चारों आतंकवादियों को मार गिराया, लेकिन तब तक भारी नुकसान हो चुका था। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने अपनी किताब में इस हमले को ‘नाजुक और गंभीर’ बताया, जब आतंकियों ने आत्मघाती मिशन के तहत भयावह तबाही मचाई।
उरी हमले के 11 दिन बाद, भारत ने नियंत्रण रेखा पार कर सर्जिकल स्ट्राइक की, जिसमें आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। इस कार्रवाई ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को करारा जवाब दिया।
उरी हमले की 9वीं बरसी पर देश उन 18 शहीदों को श्रद्धांजलि देता है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। यह हमला और इसके बाद की सर्जिकल स्ट्राइक भारत की दृढ़ता का प्रतीक बन चुके हैं।