Bihar Chunav: बिहार चुनाव में महागठबंधन में AIMIM शामिल होना चाहती है। इसको लेकर पार्टी की तरफ से लालू प्रसाद यादव के आवास के बाहर ढोल नगाड़े भी बजाए गए, लेकिन राजद AIMIM को गठबंधन में शामिल नहीं करना चाहती।
Bihar Assembly Election: बिहार में साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। एनडीए और महागठबंधन के दलों के बीच सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पाई है। वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में शामिल होना चाहती है लेकिन अब तक इस पर कोई विचार नहीं किया गया है। गुरुवार को AIMIM के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ढोल नगाड़ों के साथ लालू प्रसाद यादव के आवास पर पहुंचे और महागठबंधन में शामिल करने की अपील की।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में पांच सीटे जीतने वाली AIMM इस बार महागठबंधन में शामिल होना चाहती है, लेकिन AIMIM को शामिल नहीं किया जा रहा। इस पर राजद नेताओं का कहना है कि प्रदेश में राजद का भी एक बड़ा मुस्लिम वोट बैंक है। इसलिए एआईएमआईएम से गठबंधन का कोई मतलब नहीं निकलता है।
बता दें कि बिहार में मुस्लिम वोटर्स किसी खास सीट पर अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी के आधार पर अलग-अलग वोट करते हैं। सीमांचल के चार जिलों की 24 सीटों पर मुस्लिम बहुल हैं। पूर्णिया में मुस्लिम आबादी 38 प्रतिशत, कटिहार में 44 प्रतिशत, अररिया में 43 प्रतिशत और किशनगंज में करीब 68 प्रतिशत है। यही कारण है कि यहां के वोटर्स ने पिछले विधानसभा चुनाव में राजद के विकल्प के रूप में AIMIM को देखा और बड़ी संख्या में वोट दिया।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने पांच सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी। हालांकि बाद में इनमें से चार विधायक राजद में शामिल हो गए थे। महागठबंधन के साथ गठबंधन को लेकर औवैसी ने कहा था कि उन्होंने इस मामले में राजद से तीन बार संपर्क किया था, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया था।
महागठबंधन में एआईएमआईएम को शामिल करने पर राजद को डर भी है। राजद नेताओं का कहना है कि अगर ओवैसी की पार्टी को सीमांचल में जगह दी गई तो आने वाले समय में वह अन्य मुस्लिम बहुल इलाकों में भी सीटों की मांग करेगी।
अब सवाल उठता है कि यदि महागठबंधन में एआईएमआईएम पार्टी को शामिल नहीं किया जाता है तो क्या राजद को नुकसान होगा। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजों को देखे तो महागठबंधन को नुकसान हो सकता है। सीमांचल की 24 सीटों में से NDA ने 12 सीटों पर कब्जा जमाया था। इसके अलावा महागठबंधन ने 7 सीटें जीतीं और AIMIM ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसलिए एक बार फिर वोटों का बंटवारा महागठबंधन के लिए नुकसान दे सकता है।
इसके अलावा राजद नेता तेजस्वी यादव को डर है कि यदि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को महागठबंधन में शामिल किया जाता है तो बीजेपी इसका फायदा उठा सकती है। बीजेपी इस चुनाव को हिंदू बनाम मुस्लिम के रूप में पेश कर सकती है, क्योंकि ओवैसी ज्यादातर बात मुस्लिमों की करते है। इसलिए बीजेपी धार्मिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण कर अपने पक्ष में माहौल बना सकती है। यही वजह है कि राजद AIMIM को महागठबंधन में शामिल करने से बच रही है।