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Bihar Elections: क्या नीतीश को नहीं रहा अल्पसंख्यकों पर भरोसा? उतारे सिर्फ 4 मुस्लिम उम्मीदवार

Bihar Elections में नीतीश कुमार ने मुस्लिम समुदाय से दूरी बना ली है। इस बार जदयू ने सिर्फ 4 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। जानिए, सेक्युलर छवि के प्रति संवेदनशील रहने वाले नीतीश ने ऐसा क्यों किया?

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Oct 17, 2025
सीएम नीतीश कुमार (फोटो-IANS)

Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जनता दल (यूनाइटेड) की रणनीति में साफ बदलाव दिख रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की 2005 से माइनॉरिटी समुदाय को साथ रखने की कोशिशों के बावजूद, JD-U ने 101 सीटों में से सिर्फ चार (अररिया से शगुफ्ता अजीम, जोकिहाट से मंजर आलम, अमौर से सबा जफर, चैनपुर से मोहम्मद जमा खान) पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। यह कदम पार्टी के मुस्लिम वोटरों से दूरी और उम्मीदवारों पर खत्म हो रहे भरोसे का संकेत देता है।

नीतीश ने BJP के साथ गठबंधन के बावजूद अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के जरिए अपनी सेक्युलर छवि बनाए रखने की कोशिश की, लेकिन नतीजा सिफर रहा। जदयू ने बीजेपी संग गठबंधन में रहते हुए साल 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में 14 और 2020 के विधानसभा 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक सीट पर भी जीत नहीं मिली। हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने RJD-कांग्रेस गठबंधन किया था। इस चुनाव में जदयू ने 7 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, जिनमें उसे 5 पर जीत मिली। अब एक बार फिर जदयू, बीजेपी संग गठबंधन में है।

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नीतीश को नहीं माने पहली पसंद

बिहार में मुस्लिम आबादी लगभग 15 फीसदी हैं। 50 से अधिक सीटों पर मुस्लिम आबादी विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करती है, लेकिन वह कभी भी नीतीश कुमार को पहली पसंद नहीं मानते हैं। AIMIM ने 2020 में CAA विरोध के दम पर पांच सीटें जीतकर इसका फायदा उठाया। वक्फ अमेंडमेंट बिल पर JD-U के समर्थन ने माइनॉरिटी वोटरों को अपने दूर कर दिया।

मुस्लिम वोटरों को जदयू नेता बताया गद्दार

JD-U नेता गुलाम रसूल बलियावी ने मुस्लिम वोटरों को नीतीश का समर्थन न करने पर "गद्दार" कहा, जबकि ललन सिंह ने दावा किया कि मुसलमानों ने कभी नीतीश को वोट नहीं दिया। सीतामढ़ी MP देवेश चंद्र ठाकुर का लोकसभा चुनाव में दिया बयान भी सुर्खियों में रहा, जिसमें उन्होंने मुस्लिम और यादव वोटरों का "पर्सनल काम" न करने की बात कही।

JD-U ने माइनॉरिटी वोटों पर निर्भरता छोड़ी

राजनीति के एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन और वक्फ बिल के बाद JD-U ने माइनॉरिटी वोटों पर निर्भरता छोड़ दी। सियासी जानकारों के मुताबिक, BJP के साथ गठबंधन ने नीतीश की सेक्युलर छवि को नुकसान पहुंचाया, जिससे मुस्लिम वोटरों का भरोसा टूटा।

Updated on:
17 Oct 2025 10:12 am
Published on:
17 Oct 2025 10:04 am
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