मिथिलांचल में ब्राह्मण नेताओं का रहा है दबदबा! ललित नारायण मिश्रा से लेकर भोगेन्द्र झा तक, कई दिग्गजों ने बिहार और केंद्र की राजनीति में अपनी छाप छोड़ी। प्रधानमंत्री पद के दावेदार तक रहे ललित नारायण मिश्रा और तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्रा जैसे नेताओं ने मिथिला की राजनीति को गढ़ा। आइये जानते हैं इन दिग्गजों के प्रभावशाली सफ़र के बारे में विस्तार से।
मिथिला के कभी ब्राह्मण नेताओं की बिहार से लेकर केंद्र तक तूती बोलती थी। पार्टी चाहे कोई भी हो, सीट पर ब्राह्मण नेताओं का ही कब्जा रहता था। दबदबा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मिथिला के एक ब्राह्मण नेता को पीएम पद का दावेदार तक माना जाने लगा था।
चाहे केंद्र हो या बिहार की सत्ता मिथिला के कुछ बड़े ब्राह्मण नेताओं के बिना अधूरी थी। उन्होंने दोनों जगहों पर एक समय में एकक्षत्र राज किया। इतना ही नहीं, एक समय कांग्रेस से लेकर वाम दल के बड़े पदों पर यह ब्राह्मण नेता काबिज रहे।
मिथिला के चर्चित ब्राह्मण नेताओं में ललित नारायण मिश्रा का नाम भी सुमार रहा है। वह दरभंगा से सांसद हुआ करते थे। साथ ही केंद्र में काफी समय तक मंत्री भी रहे। देश के कद्दावर नेताओं की सूची में ललित नारायण मिश्रा का नाम होता था।
एक समय में उन्हें पीएम पद का भी दावेदार माना जाने लगा था। हालांकि, एक हादसे में उनकी मौत हो गई। दरभंगा सीट पर कुछ सालों को छोड़ दें तो आज तक ब्राह्मण नेता का ही कब्जा है। फिलहाल, इस सीट से भाजपा के गोपाल जी ठाकुर सांसद हैं।
ललित नारायण मिश्रा के गुजरने के बाद उनके छोटे भाई जगन्नाथ मिश्रा ने बिहार की राजनीति में कदम रखा। वह तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। वह झंझारपुर विधानसभा सीट से लगातर जीत दर्ज करते रहे।
वह 1972 से लेकर 1990 तक लगातार इस सीट से विधायक रहे। अब इस सीट से उनके बेटे नितीश मिश्रा विधायक हैं। इस बार, उन्होंने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की है। इससे पहले, वह झंझारपुर सीट पर जदयू के विधायक भी रह चुके हैं।
कद्दावर ब्राह्मण नेताओं की सूची में पंडित हरिनाथ मिश्रा का नाम भी सबसे ऊपर आता है। 1980 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर दरभंगा सीट से चुनाव में दर्ज की थी।
दरभंगा विश्वविद्यालय और डीएमसीएच का श्रेय भी हरिनाथ मिश्रा को दिया जाता है। बिहार से लेकर केंद्र तक हरिनाथ मिश्रा का एक समय में जलवा था।
सीपीआई के एक बड़े नेता भोगेन्द्र झा भी ब्राह्मण नेता रहे। वह पांच बार मधुबनी सीट से सांसद रहे। 1967, 1971, 1980, 1989 और 1991 में भोगेन्द्र झा ने मधुबनी सीट पर जीत दर्ज की थी।
उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी मौत के बाद सीपीआई मधुबनी में कमजोर होती चली गई। 2009 से अब तक लगातार इस सीट पर भाजपा का कब्जा है।