क्रिसमस कोन के पारंपरिक आकार में बना यह सजावटी ढांचा हरे रंग की कांच की बीयर की बोतलों को करीने से सजाकर परत-दर-परत तैयार किया गया है। बोतलों को मुंह अंदर की ओर इस तरह लगाया गया है कि एक चमकदार सर्पिल आकृति बनती है।
Christmas Tree Controversy: दुनियाभर में क्रिसमस को लेकर तैयारियां चल रही हैं। भारत में भी इस पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। इसी बीच केरल से एक खबर सामने आई है, जहां क्रिसमस ट्री को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, केरल के गुरुवायूर नगर परिषद क्षेत्र में खाली बीयर की बोतलों से बने क्रिसमस ट्री को लेकर हंगामा मच गया। एकेजी स्मारक द्वार पर स्थापित इस अपरंपरागत क्रिसमस ट्री का विरोध किया जा रहा है। विरोध करने वालों का कहना है कि बीयर की बोतलों के इस्तेमाल से लोगों में गलत संदेश जा सकता है।
इस मुद्दे को लेकर रविवार को नव-निर्वाचित गुरुवायूर नगर परिषद की पहली बैठक आयोजित की गई। कांग्रेस पार्षद बशीर पूकोडे ने यह मामला उठाया, जिसके बाद परिषद में जोरदार बहस छिड़ गई। पार्टी सहयोगी जॉय चेरियन और एंटो थॉमस भी चर्चा में शामिल हुए और उन्होंने बचे हुए तरल पदार्थ वाली बोतलों से क्रिसमस मनाने की उपयुक्तता पर सवाल खड़े किए।
परिषद भवन में चर्चा तक ही सीमित न रहते हुए, विपक्षी पार्षदों ने बाद में नगर सचिव से व्यक्तिगत रूप से मिलकर अपना विरोध दर्ज कराया। हालांकि, नगर सचिव एच. अभिलाष ने सफाई देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य पुनर्चक्रण और सामग्रियों के रचनात्मक पुनः उपयोग को बढ़ावा देना था, न कि शराब के सेवन का महिमामंडन करना।
क्रिसमस कोन के पारंपरिक आकार में बना यह सजावटी ढांचा हरे रंग की कांच की बीयर की बोतलों को करीने से सजाकर परत-दर-परत तैयार किया गया है। बोतलों को मुंह अंदर की ओर इस तरह लगाया गया है कि एक चमकदार सर्पिल आकृति बनती है। इसके शीर्ष पर एक लाल तारा लगाया गया है, जबकि बोतलों के बीच छोटे-छोटे क्रिसमस सजावटी सामान, घंटियां और गोलाकार टैग लटके हुए हैं, जो इसे अपरंपरागत सामग्री के बावजूद उत्सवपूर्ण रूप देते हैं।
यूडीएफ का तर्क है कि शराब की बोतलों से बना क्रिसमस ट्री एक अनुचित संदेश देता है। इसे तुरंत हटा दिया जाना चाहिए। कांग्रेस नेता केपी अर्शीद ने इस कदम को अस्वीकार्य बताया और कहा कि इसमें शामिल अधिकारियों ने गलत निर्णय लिया है।