कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि बिहार में कांग्रेस कागज पर है, जमीन पर नहीं। यह पहला बयान नहीं है, जो रिजल्ट के बाद आया हो। महागठबंधन को मिली करारी शिकस्त के बाद लगातार पार्टी के भीतर से प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावारू पर उंगलियां उठ रही हैं।
Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है। महागठबंधन में पार्टी के हिस्से 61 सीटें आई थी। कांग्रेस महज 6 सीटों पर जीतने में कामयाब रही। इसके बाद बिहार कांग्रेस को लेकर सियासी बवाल जारी है। कांग्रेस नेता व पूर्व सांसद राशिल अल्वी ने बयान देकर भूचाल ला दिया है।
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि कांग्रेस का संगठन कागजों पर है, जमीन पर नहीं। केवल मीटिंग करने से कुछ नही होगा, संगठन को मजबूत करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कई नेताओं को मेनस्ट्रीम में लाने की जरूरत है। इससे पहले कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके शकील अहमद ने भी बिहार कांग्रेस को लेकर अपनी चिंता जताई थी।
बिहार कांग्रेस को इस चुनाव में सबसे बड़ी हार कुटुंबा सीट पर मिली। यहां से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम चुनाव लड़ रहे थे। राजेश राम को हम सेक्युलर के नेता ललन राम ने पटखनी दी। ललन राम को कुटुम्बा (एससी) विधानसभा सीट पर 21525 मतों के अंतर से जीत मिली है।
बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि हमलोगों की तरफ से ही गड़बड़िया हुई हैं। उन्होंने कहा कि टिकट बंटवारे में देरी हुई। जिसका असर चुनावी नतीजों पर भी पड़ा है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि आखिर फ्रेंडली फाइट की नौबत क्यों आई? इसके लिए कुछ लोग जिम्मेदार हैं। अखिलेश ने कहा कि सीनियर नेताओं को किनारे लगाकर बाहर के लोगों को बिहार कांग्रेस ठेके पर दे दिया गया। उन्होंने कहा कि इन नतीजों की गहन समीक्षा के बाद ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने बिहार चुनाव में 60 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. पार्टी को इस चुनाव में केवल 6 सीटों पर जीत मिली है. कांग्रेस ने वाल्मिकीनगर, चनपटिया, फारबिसगंज, अररिया, किशनगंज और मनिहारी सीट पर जीत दर्ज की है। इस चुनाव में पार्टी को महज 8.71 प्रतिशत वोट मिले, जबकि 2020 के चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर कैंडिडेट उतारे थे और उसे 19 पर जीत मिली थी। उस समय उसका वोट प्रतिशत 9.6 फीसदी था।