डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा की अटकलें तेज! अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर ने संकेत दिया है कि राष्ट्रपति ट्रंप इस साल के अंत में क्वाड शिखर सम्मेलन में शामिल होने भारत आ सकते हैं। गोर ने ट्रंप और पीएम मोदी के बीच गहरे संबंधों का जिक्र करते हुए इस यात्रा की पुष्टि की है। हालांकि पहले इस यात्रा को रद्द करने की खबरें आई थीं, लेकिन अब ये संभावना फिर से जीवंत हुई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की बात कही थी। अब वह जल्द ही भारत भी आ सकते हैं। ट्रंप द्वारा भारत के लिए चुने गए अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर ने राष्ट्रपति के दौरे का संकेत दिया है।
गोर ने कहा है कि ट्रंप इस साल के अंत में क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत की यात्रा कर सकते हैं।
ट्रंप के करीबी माने जाने वाले गोर ने विदेश संबंधों की सीनेट समिति को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति क्वाड के नेताओं से मिलने के लिए उत्सुक हैं। अगली क्वाड बैठक के लिए यात्रा पर पहले ही बातचीत हो चुकी है।
गोर ने सभा को संबोधित करते हुए आगे कहा कि तनाव के बावजूद ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच गहरी दोस्ती बनी हुई है। यह अनोखी बात है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप भले ही भारत की आलोचना करते रहे हैं, लेकिन उन्होंने मोदी की तारीफ करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी है। गोर ने कहा कि ट्रंप और पीएम मोदी के बीच अविश्वसनीय रिश्ता है।
बता दें कि कुछ ही सप्ताह पहले न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि ट्रंप ने क्वाड लीडर्स समिट के लिए भारत आने की योजना रद्द कर दी है, जो इस वर्ष नवंबर में होने वाली है। वहीं, दूसरी तरफ गोर के नए बयान से यह संकेत मिलता है कि ट्रंप का विचार अब बदल गया है।
पीएम मोदी ने 17 जून को ट्रंप से टेलीफोन पर बात की थी। इस दौरान, उन्होंने ट्रंप को क्वाड शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया था। वहीं, तब ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी का निमंत्रण स्वीकार भी कर लिया था।
डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त 2025 में अपने भरोसेमंद सहयोगी सर्जियो गोर को भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में नामित किया था। गोर वर्तमान में व्हाइट हाउस के राष्ट्रपति कार्मिक कार्यालय के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं।
ट्रंप ने कहा कि गोर को भारत में राजदूत के रूप में नियुक्त करने का उद्देश्य इस महत्वपूर्ण साझेदारी में अमेरिका के हितों को आगे बढ़ाना है।