
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। (फोटो- IANS)
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यूरोपीय संघ फिलहाल भाव देने के मूड में नहीं है। नई रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है। दरअसल, ट्रंप ने एक दिन पहले यूरोपीय संघ से रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत पर भारी टैरिफ लगाने की अपील की थी, लेकिन अब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो पाई है।
ऐसा माना जा रहा है कि यूरोपीय संघ ने ट्रंप के अनुरोध को सिरे से खारिज कर दिया है। यूरोपीय संघ के एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से रॉयटर्स ने बताया है कि चीन और भारत पर यूरोपीय संघ फिलहाल कोई भी भारी टैरिफ लगाने पर विचार नहीं कर रहा है।
हालांकि, यूरोपीय संघ की ओर से आधिकारिक रूप से इस संबंध में बयान जारी नहीं किया गया है। बता दें कि ट्रंप ने यूरोपीय संघ से भारत और चीन पर 100% तक टैरिफ लगाने का अनुरोध किया है।
उनका कहना है कि इससे रूस पर यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए आर्थिक दबाव बढ़ाया जा सकता है। ट्रंप ने यह मांग ऐसे समय में की है जब उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दोस्ती की बात कही है और दोनों देशों के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी रखने की इच्छा जताई है।
ट्रंप के इस अनुरोध के पीछे का कारण यह है कि भारत और चीन रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदते हैं, जिससे रूस को आर्थिक समर्थन मिलता है। ट्रंप चाहते हैं कि यूरोपीय संघ भी भारत और चीन पर टैरिफ लगाए, ताकि रूस पर दबाव बढ़ सके।
अगर आधिकारिक तौर पर भारत और चीन के मामले में ट्रंप के अनुरोध को यूरोपीय संघ खारिज कर देता है तो यह अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए बड़ा झटका होगा। दरअसल, यूक्रेन में युद्ध को रोकने के इरादे से अमेरिका और यूरोपीय संघ एकसाथ खड़े हैं।
ऐसा माना जाता है कि यूक्रेन के मामले में ट्रंप यूरोपीय संघ पर आंख बंदकर भरोसा करते हैं, लेकिन हाल के दिनों में एक मामले ने दोनों के बीच मतभेद पैदा कर दिया है। हाल ही में यूरोपीय संघ के प्रति ट्रंप की बौखलाहट भी उजागर हुई थी।
दरअसल, ट्रंप यूरोपीय संघ के उस फैसले से काफी नाराज हो गए, जिसमें गूगल पर 3.5 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया था।
ट्रंप का कहना था कि यह जुर्माना अनुचित और भेदभावपूर्ण है। इससे अमेरिकी निवेश और नौकरियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने यूरोपीय संघ को चेतावनी दी है कि अगर इस तरह के जुर्माने जारी रहते हैं, तो अमेरिका जवाबी कार्रवाई करेगा और टैरिफ बढ़ाएगा। अब ऐसा माना जा रहा है कि यूरोपीय संघ ने इसी धमकी का बदला लिया है।
Published on:
11 Sept 2025 10:05 am
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