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निमिषा को बचाने की कोशिश तेज, ब्लड मनी पर टिकी उम्मीदें, किसास क्या है?

निमिषा प्रिया को बचाने की कोशिशें जारी है। भारत के कूटनीतिक प्रयासों से बुधवार को होने वाली फांसी से ठीक पहले सुनवाई टल गई। निमिषा प्रिया को 2017 में यमन में अपने साझेदार महदी की हत्या के आरोप में 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी।

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Jul 17, 2025
निमिषा प्रिया (फोटो: IANS)

केरल की नर्स निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) को यमन (Yamen) में फांसी से बचाने की आखिरी उम्मीद अब सिर्फ ‘ब्लड मनी’ यानी क्षतिपूर्ति राशि के जरिए समझौते पर टिकी है, लेकिन मृत यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के परिजन शरीयत के तहत ‘किसास’ (खून के बदले खून) की सजा पर अड़े हैं।

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फांसी टली, मिली अस्थाई राहत

भारत के कूटनीतिक प्रयासों से बुधवार को होने वाली फांसी से ठीक पहले सुनवाई टल गई, जिससे अस्थायी राहत मिली। फांसी टलने से पहले बीबीसी अरबी से बातचीत में महदी के भाई अब्दुलफत्ताह ने कहा कि हम अल्लाह के कानून के तहत किसास चाहते हैं, कोई समझौता मंजूर नहीं है। इस बीच, भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर अहमद समेत कई मौलवी और बुजुर्ग मृतक के परिजनों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं। निमिषा प्रिया को 2017 में यमन में अपने साझेदार महदी की हत्या के आरोप में 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी।

क्या है 'किसास' और 'दीयाह'

‘किसास’ इस्लामिक शरीयत कानून की एक मूल अवधारणा है, जो कहती है कि अगर किसी ने जान ली है तो उसके बदले उसकी जान भी ली जा सकती है। सजा वैसी ही होनी चाहिए, जैसा अपराध था। इसे ‘बराबरी का जवाब’ या 'खून का बदला खून' कहा जा सकता है।

क्या है 'ब्लड मनी'?

'ब्लड मनी' उस आर्थिक मुआवजे को कहते है जो किसी की जान जाने पर दोषी की ओर से मृतक के परिवार को दिया जाता है। इसे 'दीयाह' कहा जाता है। यह दोषी और पीड़ित परिवार की सहमति से तय होता है। हालांकि, यह व्यवस्था आमतौर पर गैर इरादतन हत्या में लागू होती है, लेकिन कई बार इरादतन हत्या में भी पीड़ित परिवार क्षमा कर दे, तो राहत मिल सकती है।

हूती प्रभाव का पेच फंसा

निमिषा प्रिया का मामला यमन की राजधानी सना से जुड़ा है, जहां हूती विद्रोहियों का कब्जा है। हूती, जैदी शिया विचारधारा से प्रभावित हैं और उनके नियंत्रण वाले इलाकों में सख्त शरिया कानून लागू है। यही वजह है कि निमिषा प्रकरण में कानूनी प्रक्रिया जटिल हो गई है।

किन देशों में ब्लड मनी प्रथा?

'ब्लड मनी' या 'दीयाह' की अवधारणा मुख्यतः इस्लामी देशों में मान्य है। इनमें यमन, सऊदी अरब, यूएई, कतर, कुवैत, ईरान, इराक, पाकिस्तान, बहरीन के अलावा कुछ गैर-इस्लामी देशों में भी समान परंपराएं हैं। दक्षिण कोरिया में इसे हैबुइगुम (समझौता राशि) तो सोमाली में 'मैग' कहा जाता है। जिबूती, सोमालीलैंड जैसे देशों में भी यह एक हद तक प्रचलित है।

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Published on:
17 Jul 2025 08:07 am
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