Eid Milad-un-Nabi holiday row in Kashmir: जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की छुट्टी शनिवार को न करने पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल प्रशासन पर निशाना साधा है।
Eid Milad-un-Nabi Holiday Row in Kashmir: जम्मू-कश्मीर में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की छुट्टी को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। प्रशासन ने चांद दिखने के आधार पर छुट्टी को शुक्रवार (5 सितंबर) से शनिवार (6 सितंबर) को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया, जिसे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जानबूझकर और लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला फैसला करार दिया। यह दूसरा मौका है जब उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले प्रशासन ने मुस्लिम समुदाय के महत्वपूर्ण धार्मिक अवसरों पर छुट्टी की तारीख बदलने से मना किया है। पिछले साल भी ईद-उल-फितर की छुट्टी गलत तारीख पर घोषित की गई थी, जिसके चलते कर्मचारियों को ड्यूटी पर बुलाया गया और अनुपस्थित रहने वालों को गैरहाजिर दर्ज किया गया था।
उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, सरकारी प्रेस द्वारा छपे कैलेंडर में स्पष्ट लिखा है कि छुट्टियां ‘चांद दिखने के अधीन’ हैं। इसका मतलब है कि छुट्टी की तारीख चांद के आधार पर बदली जा सकती है। एलजी प्रशासन का यह जानबूझकर किया गया फैसला असंवेदनशील है और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए बनाया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कदम मुस्लिम समुदाय की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।
जम्मू-कश्मीर की शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू ने भी एलजी प्रशासन की आलोचना की और कहा, यह पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है कि वैश्विक स्तर पर मुस्लिमों के लिए पवित्र अवसर ईद-ए-मिलाद को सही तारीख पर छुट्टी नहीं दी गई। ‘चांद दिखने के अधीन’ का मतलब क्या है, अगर इसे लागू नहीं किया जाता?
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता मेहबूबा मुफ्ती ने इस फैसले को दुखद करार दिया, लेकिन जिम्मेदारी उमर अब्दुल्ला की सरकार पर डालते हुए कहा, यह दुखद है कि एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र में हमारी धार्मिक आजादी को भी मंजूरी का इंतजार करना पड़ता है। एनसी सरकार इन अन्यायपूर्ण फैसलों को सामान्य बनाने में लगी है।
अवामी इत्तिहाद पार्टी (एआईपी) के प्रवक्ता इनाम उन नबी ने इसे मुस्लिम भावनाओं का खुला अपमान बताया और कहा कि प्रशासन को विश्वास निर्माण के बजाय विवाद पैदा करने से बचना चाहिए।
कश्मीर के प्रमुख धार्मिक नेता और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक ने इस फैसले को मुस्लिम भावनाओं की पूरी तरह से अनदेखी करार दिया। उन्होंने कहा, दूसरे साल भी छुट्टी को सही तारीख पर घोषित न करना अस्वीकार्य है। यह जानबूझकर की गई लापरवाही है, जिसका जम्मू-कश्मीर के मुसलमान विरोध करते हैं।
मीरवाइज ने एनसी सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और कहा कि वह इस मुद्दे को श्रीनगर की जामा मस्जिद में अपने जुमे के खुतबे में उठाएंगे। ग्रैंड मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम ने भी इसे नकारात्मक रवैया बताया।
पिछले साल 10 अप्रैल को ईद-उल-फितर की छुट्टी गलत तारीख पर घोषित की गई थी, जिसके चलते कई कर्मचारियों को ईद के दिन ड्यूटी पर जाना पड़ा। इस बार भी हजरतबल दरगाह में होने वाले विशेष प्रार्थना सत्र और पवित्र अवशेष (मोई-ए-मुक्कदस) के दर्शन शनिवार को होंगे, जबकि छुट्टी शुक्रवार को है। यह असंगति घाटी में लोगों के बीच गुस्से का कारण बनी है।