बंगाल में EC ने SIR की घोषणा की है, तब से अब तक 9 लोगों की मौत हो गई। बताया जा रहा है इनमें से 5 लोगों ने SIR के डर से आत्महत्या की है।
पश्चिम बंगाल में एसआईआर पर बवाल जारी है। सीएम ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण में जल्दबाजी करने का आरोप लगाया है, साथ ही इस प्रक्रिया को वोटबंदी बताया है। वहीं जब से EC ने प्रदेश में इस प्रक्रिया की घोषणा की है, तब से अब तक 9 लोगों की मौत हो गई। बताया जा रहा है इनमें से 5 लोगों ने SIR के डर से आत्महत्या की है।
सोमवार को नादिया जिले के कृष्णचकपुर मंडलपारा निवासी श्यामल कुमार साहा ने आत्महत्या कर ली। दरअसल, 2002 की वोटर लिस्ट में नाम नहीं होने से वह तनाव में था। मामले में पुलिस ने बताया कि उसके पास वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड और संपत्ति के कागजात सहित सभी वैध दस्तावेज होने के बावजूद वह डरा हुआ था।
पुलिस ने आगे बताया, “परिजनों ने दावा किया कि 2002 की वोटर लिस्ट में नाम नहीं होने की जानकारी मिलने के बाद उसने खाना-पीना भी छोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि उसके पास सभी वैध दस्तावेज़ थे। हमें मौत की जानकारी मिली है, लेकिन परिवार की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।
सीएम ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर SIR के नाम पर लोगों को परेशान करने का आरोप लगाया है। सीएम ने कहा, “जैसे नोटबंदी 'नोटबंदी' थी, वैसे ही SIR 'वोटबंदी' है। यह सुपर इमरजेंसी का ही एक और रूप है।"
उन्होंने आरोप लगाया, "चुनाव से ठीक पहले एसआईआर कराने की इतनी जल्दी मुझे समझ नहीं आ रही। चुनाव आयोग को यह काम तुरंत बंद करना चाहिए। मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण दो या तीन महीने में पूरा नहीं हो सकता। इसे ज़बरदस्ती अंजाम दिया जा रहा है।"
सीएम ने कहा कि SIR के खिलाफ बोलने पर वह कोई भी नतीजा भुगतने को तैयार हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, " भाजपा मुझे एसआईआर के खिलाफ बोलने पर जेल भेज सकती है या मेरा गला भी काट सकती है, लेकिन लोगों के मताधिकार पर अंकुश न लगाएँ।"