झारखंड के पूर्व मंत्री के.एन. त्रिपाठी पर ट्रैफिक जाम में फंसने पर अपने बॉडीगार्ड्स को थप्पड़ मारने और जातिवादी गालियां देने का आरोप लगा है। पीड़ित अंगरक्षकों ने प्राथमिकी दर्ज कराई है, जबकि त्रिपाठी ने आरोपों को खारिज करते हुए बदले की कार्रवाई का दावा किया है। इस घटना ने पुलिस महकमे में भी खलबली मचा दी है और पुलिस संघ ने इसकी कड़ी निंदा की है। मामला अब पुलिस जांच के दायरे में है।
झारखंड के पूर्व मंत्री कांग्रेस नेता के एन त्रिपाठी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। उनके दो अंगरक्षकों ने लातेहार जिले में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
अंगरक्षकों का आरोप है कि पूर्व मंत्री ने ट्रैफिक जाम हटाने में विफल रहने पर कथित तौर पर जातिवादी गालियां दीं और थप्पड़ भी जड़ दिया। मेदिनीनगर टाउन थाना प्रभारी ज्योति लाल रजवार ने मीडिया को पूर्व मंत्री के खिलाफ शिकायत दर्ज होने की जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि शिकायत दर्ज कराने वाले बॉडीगार्डों में एक आदिवासी तो दूसरा दलित है। बुधवार को दोनों ने 'जीरो एफआईआर' दर्ज कराई है। केस को अब लातेहार पुलिस देखेगी।
शिकायत में कहा गया है कि मंगलवार दोपहर लातेहार जिले में जब कांग्रेस नेता जुबली चौक पर ट्रैफिक जाम में फंस गए तो उन्होंने गुस्से में आकर अपने अंगरक्षकों को थप्पड़ जड़ दिया और जातिवादी गालियां भी दीं।
दूसरी तरफ, पूर्व मंत्री त्रिपाठी ने मारपीट के आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि बदले की भावना से उनके खिलाफ इस तरह की शिकायत दर्ज कराई गई है।
'द इंडियन एक्सप्रेस' के हवाले से यह बताया गया है कि त्रिपाठी ने कहा कि ट्रैफिक जाम के दौरान उन्होंने अपने अंगरक्षकों से ज्यादा सतर्क रहने को कहा था।
मंत्री ने कहा कि उन्होंने खुद रास्ता क्लियर करवाया और फिर सर्किट हाउस के लिए निकल गए। उन्होंने किसी पर हमला या गाली-गलौज नहीं की। सीसीटीवी में सब कुछ साफ दिख रहा है।
मंत्री ने आगे कहा कि जब अंगरक्षकों ने गाड़ियों को हटाने से इनकार कर दिया तो मैं अपनी गाड़ी से निकला और एक मिनट के अंदर रास्ता साफ करा दिया, ऐसा देखकर अंगरक्षकों को अपमानित महसूस हुआ। इसीलिए उन्होंने एफआईआर दर्ज कराई।
उधर, लातेहार पुलिस पुरुष संघ ने इस घटना की खूब निंदा की है। उन्होंने झारखंड के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर इसे वर्दीधारी पुलिसकर्मियों की गरिमा पर हमला बताया है।
संघ के अध्यक्ष करण सिंह ने लिखा कि अगर किसी नेता को लगता है कि कोई अंगरक्षक अयोग्य है, तो उसे वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी सूचना देनी चाहिए, न कि उस पर हमला करना चाहिए।