शनिवार सुबह मैकेनिक को दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद पत्नी रूपी ने तुरंत उन्हें स्कूटर पर बैठाकर अस्पताल ले जाने की कोशिश की।
बेंगलुरु से एक ऐसी घटना सामने आई है जो समाज में फैली उदासीनता और इंसानियत की कमी पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। दरअसल, 34 वर्षीय मैकेनिक को दिल का दौरा पड़ने के बाद पत्नी अस्पताल ले जा रही थी। वहीं रास्ते में वे सड़क पर गिर गए। महिला बेसुध पड़े पति को अस्पताल ले जाने के लिए गिड़गिड़ाती रही। सड़क पर गाड़ियां गुजरती रहीं, लेकिन किसी ने मदद नहीं की।
वहीं मृतक की पत्नी ने आरोप लगाया है कि समय पर इलाज न मिलने और रास्ते से गुजर रहे लोगों की उदासीनता के कारण उनके पति की जान चली गई। मृतक की पहचान वेंकटरमन के रूप में हुई है, जो बनशंकरी थर्ड स्टेज के इत्तामाडु स्थित बालाजी नगर का रहने वाला था।
शनिवार सुबह मैकेनिक को दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद पत्नी रूपी ने तुरंत उन्हें स्कूटर पर बैठाकर अस्पताल ले जाने की कोशिश की। लेकिन रास्ते में स्कूटर का संतुलन बिगड़ गया और दोनों गिर गए।
इसके बाद सड़क पर पत्नी ने मदद के लिए पुकारा, लेकिन सड़क पर गाड़ियां चलती रही और किसी ने मदद नहीं की। इसके बाद एक कैब वाला रुका और उनकी मदद की, जब तक काफी देर हो चुकी थी।
मृतक की पत्नी ने बताया कि अस्पताल में उन्हें बताया गया कि कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं है और पास के एक अन्य निजी अस्पताल जाने की सलाह दी गई। वहां ईसीजी जांच की गई, जिसमें पुष्टि हुई कि वेंकटरमन को दिल का दौरा पड़ा है। डॉक्टरों ने उन्हें विशेष इलाज के लिए जयदेवा अस्पताल ले जाने की सलाह दी।
वहीं स्कूटर से गिरने के बाद की घटना उस स्थान पर लगे एक भवन के सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। रूपा ने एक मानवीय फैसला लेते हुए अपने पति की आंखें दान कर दीं। भावुक होते हुए उन्होंने कहा, “अगर किसी ने समय पर हमारी मदद की होती तो शायद मेरे पति की जान बच सकती थी। वह जीना चाहते थे, इसी वजह से दर्द में होने के बावजूद अस्पताल तक खुद स्कूटर चलाने की कोशिश कर रहे थे।”
रूपा ने उस निजी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, जिस पर उन्होंने आरोप लगाया कि वहां न तो उनके पति का इलाज किया गया और न ही एंबुलेंस की व्यवस्था की गई।