गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है, जिसमें तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की निचली कक्षा में जाएंगे और सुरक्षित लौटेंगे। क्रू मॉड्यूल की समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग के लिए डीसेलेरेशन सिस्टम अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गगनयान मिशन के लिए एक और महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। 18 और 19 दिसंबर 2025 को चंडीगढ़ स्थित टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (टीबीआरएल) की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (आरटीआरएस) सुविधा में ड्रोग पैराशूट के क्वालिफिकेशन परीक्षणों की सीरीज सफलतापूर्वक पूरी की गई। ये परीक्षण गगनयान क्रू मॉड्यूल के डीसेलेरेशन सिस्टम के विकास के लिए आयोजित किए गए थे, जो अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है, जिसमें तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की निचली कक्षा में जाएंगे और सुरक्षित लौटेंगे। क्रू मॉड्यूल की समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग के लिए डीसेलेरेशन सिस्टम अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस सिस्टम में कुल 10 पैराशूट शामिल हैं, जो चार प्रकार के होते हैं: दो एपेक्स कवर सेपरेशन पैराशूट, दो ड्रोग पैराशूट, तीन पायलट पैराशूट और तीन मुख्य पैराशूट।
लैंडिंग सीक्वेंस की शुरुआत एपेक्स कवर सेपरेशन पैराशूट से होती है, जो पैराशूट कंपार्टमेंट का कवर हटाते हैं। इसके बाद ड्रोग पैराशूट तैनात होते हैं, जो री-एंट्री के दौरान उच्च गति पर मॉड्यूल को स्थिर करते हैं और गति कम करते हैं। ड्रोग पैराशूट रिलीज होने पर पायलट पैराशूट सक्रिय होते हैं, जो मुख्य पैराशूट को बाहर निकालते हैं। अंत में मुख्य पैराशूट मॉड्यूल की गति को इतना धीमा कर देते हैं कि समुद्र में सॉफ्ट लैंडिंग संभव हो सके।
ड्रोग पैराशूट इस सिस्टम का सबसे क्रिटिकल हिस्सा हैं, क्योंकि वे अत्यधिक गति, उच्च तापमान और कठिन एयरोडायनामिक स्थितियों में काम करते हैं। इस परीक्षण सीरीज का उद्देश्य चरम परिस्थितियों में इनकी विश्वसनीयता और प्रदर्शन का कठोर मूल्यांकन करना था। दोनों परीक्षणों में सभी लक्ष्य हासिल किए गए और विभिन्न उड़ान परिस्थितियों में पैराशूटों की मजबूती साबित हुई।
ये परीक्षण विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) के नेतृत्व में हुए, जिसमें डीआरडीओ की एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (एडीआरडीई) और टीबीआरएल की सक्रिय भागीदारी रही। इस सफलता से गगनयान पैराशूट सिस्टम को मानव उड़ान के लिए क्वालिफाई करने की दिशा में मजबूत आधार मिला है।
गगनयान मिशन भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करेगा, जो स्वतंत्र रूप से मानव को अंतरिक्ष में भेज सकते हैं। मिशन की तैयारियां तेज हैं और ये परीक्षण अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।