कर्नाटक सरकार ने पुलिस विभाग की मोबाइल ई-चालान सिस्टम के जरिए दर्ज पेंडिंग मामलों के जुर्माने पर 50 प्रतिशत की छूट देने का एलान किया है। इससे लोगों को अपने पुराने चालानों को भरने में राहत मिलेगी और वे जुर्माने की राशि में बचत कर सकेंगे।
अगर आपकी गाड़ी पर कोई चालान है तो उसे भरने का यह बिल्कुल सही समय है। दरअसल, कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार ने गुरुवार को बड़ी घोषणा कर दी है।
दरअसल, कर्नाटक सरकार ने पुलिस विभाग की मोबाइल ई-चालान सिस्टम के जरिए दर्ज पेंडिंग मामलों के जुर्माने को भरने पर 50 प्रतिशत की छूट देने का एलान किया है।
कर्नाटक सरकार यह छूट 23 अगस्त से 12 सितंबर तक दे रही है। इसके बाद, ऑफर लागू नहीं होगा। आदेश में कहा गया है कि बेंगलुरु के परिवहन एवं सड़क सुरक्षा आयुक्त ने 2018-19 से पहले परिवहन विभाग में दर्ज मामलों के निपटारे के लिए इसी तरह की छूट का अनुरोध किया था, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है।
बेंगलुरु यातायात पुलिस के मुताबिक, जुर्माना वेबसाइट (https://btp.gov.in/), मोबाइल एप्लिकेशन या नजदीकी यातायात पुलिस स्टेशन के माध्यम से भरा जा सकता है। इस बीच, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लोगों से इस सीमित अवधि के अवसर का पूरा लाभ उठाने का आग्रह किया है।
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने कहा कि हमारी सरकार सड़क सुरक्षा, कानून का पालन करने वाले व्यवहार और सार्वजनिक सुविधा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। अपने वाहनों पर यातायात उल्लंघन के लंबित जुर्माने का भुगतान करें और यातायात नियमों का पालन करें।
कर्नाटक विधानसभा में मंगलवार को ग्रेटर बेंगलुरु गवर्नेंस (संशोधन) विधेयक 2025 पारित हो गया। उपमुख्यमंत्री और बेंगलुरु विकास मंत्री डी।के। शिवकुमार ने सदन में विधेयक पेश किया। विपक्षी नेताओं और विधायकों के साथ चर्चा के बाद इसे मंजूरी दे दी गई।
इस विधेयक का उद्देश्य बृहद बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को पांच नगर निगमों में विभाजित करना है। भाजपा और जेडी(एस) के कड़े विरोध के बावजूद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार बीबीएमपी को विभाजित करके चुनाव कराने की पूरी तैयारी में है।
प्रस्तावित विधेयक पर बोलते हुए, शिवकुमार ने कहा कि इसमें एक छोटा सा स्पष्टीकरण है। हालांकि, यह विधेयक पहले पारित हो चुका है, लेकिन कुछ लोगों ने अदालत में याचिकाएं दायर की थीं।
इसलिए, अब हमने इस विधेयक में यह स्पष्ट कर दिया है कि ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण (जीबीए) संविधान के 74वें संशोधन के अंतर्गत आने वाले नगर निगमों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।