Hindi language row: सीएम स्टालिन ने आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ लोग हिंदी को बाकी भाषाओं से ऊपर रखना चाहते हैं और गैर-हिंदी प्रदेशों पर इसे जबरन थोपने की कोशिश कर रहे हैं।
Hindi language row: केंद्र सरकार पर तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन हिंदी थोपने को लेकर आरोप लगा रहे है। इसी बीच सीएम स्टालिन ने कहा कि भाषाई समानता की मांग करना अंधराष्ट्रवाद नहीं है। सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर की है। इस पोस्ट में उन्होंने फ्रैंकलिन लियोनार्ड के कथन का इस्तेमाल करते हुए लिखा- जब आप विशेषाधिकार के आदी हो जाते हैं तो समानता उत्पीड़न जैसी लगती है।
सीएम ने कहा कि उन्हें यह कथन तब याद आता है जब कुछ लोग तमिलनाडु में तमिलों के उचित स्थानों की मांग करने के लिए हमें अंधराष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोधी कह देते हैं।
सीएम स्टालिन ने आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ लोग हिंदी को बाकी भाषाओं से ऊपर रखना चाहते हैं और गैर-हिंदी प्रदेशों पर इसे जबरन थोपने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में प्रदेश के लोगों के साथ दूसरे दर्जे जैसा व्यवहार करने और गैर-हिंदी भाषियों पर अपनी भाषा थोपने का भी आरोप लगाया।
बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधते हुए सीएम ने कहा कि जो गोडसे की विचारधारा का महिमामंडन करते है वे डीएमके और उनकी सरकार की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठा सकते हैं। तमिलनाडु ने चीनी आक्रमण, बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और कारगिल युद्ध में सबसे अधिक धनराशि को योगदान दिया। जबकि डीएमके पर सवाल उठाने वालों के वैचारिक पूर्वज गोड़से है जिन्होंने महात्मा गांधी की हत्या की थी। तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के बयान पर क्या बोले धीरेंद्र शास्त्री...
सीएम स्टालिन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए इसे जहर बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी चीज को थोपने से दुश्मनी पैदा होती है। दुश्मनी एकता को खतरे में डालती है।
सीएम ने कहा कि भाषाई समानता की मांग करना अंधराष्ट्रवाद नहीं है। उन्होंने अंधराष्ट्रवाद का अर्थ बताते हुए कहा कि 140 करोड़ लोगों पर शासन करने वाले तीन आपराधिक कानूनों को ऐसी भाषा में बताना जिसे तमिल लोग बोल नहीं सकते या पढ़ नहीं सकते। अंधराष्ट्रवाद का अर्थ है राष्ट्र के लिए सबसे अधिक योगदान देने वाले राज्य को दूसरे दर्जे का नागरिक मानना और एनईपी नामक जहर को निगलने से इनकार करने पर उसे उसका उचित हिस्सा न देना।