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कैसे मात्र 10-15 सेकंड में तत्काल टिकट बुक कर लेते हैं दलाल? इन अवैध Apps का नाम जानकर चौंक जाएंगे!

भारतीय रेलवे की तत्काल सेवा अचानक यात्रा के लिए थी, लेकिन दलाल अवैध ऐप्स का इस्तेमाल कर 10-15 सेकंड में टिकट बुक कर ब्लैक मार्केट में बेचते हैं।

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Nov 10, 2025
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (Image: Gemini)

यात्रियों को अचानक यात्रा के लिए टिकट उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे ने तत्काल सेवा शुरू की थी, लेकिन दलाल अब इस सिस्टम का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।

जिस तत्काल टिकट को बुक करने में आम लोगों को 1-2 मिनट लग जाते हैं। वहीं, दलाल मात्र 10-15 सेकंड में ही अपना काम करके निकल लेते हैं।

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चंद सेकंडों में तत्काल टिकट पूरी तरह से खत्म हो जाती है। उनपर दलाल कब्जा जमा चुके रहते हैं। अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि वह आखिरकार कैसे कुछ ही सेकंड्स में तत्काल टिकट बुक करने में कामयाब हो जाते हैं?

तो इसका जवाब अनधिकृत ऐप्स। जी हां, कई अवैध ऐप्स के जरिए रेलवे की वेबसाइट को हैक किया जाता है और पलक झपकने तक दलाल सभी टिकटों को उड़ा लेते हैं।

इस वक्त मार्केट में चार ऐसे ऐप्स उपलब्ध हैं, जो 10-15 सेकंड में तत्काल टिकट बुक कर देते हैं। इनका नाम- ब्रह्मोस', 'टेस्ला', 'एवेंजर्स' और 'डॉ. डूम' है।

चंद सेकंड में भर सकते हैं विवरण

अवैध ऐसे का नाम सुनकर थोड़ी हैरानी होगी, लेकिन इनका काम रेलवे टिकट की दुनिया में बेहद खतरनाक है। इन ऐप्स को तत्काल बुकिंग के लिए यात्रियों की जरूरी जानकारी भरने और टिकट कंफर्म करने में बस 15 सेकंड का समय लगता है।

हालांकि, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) दलालों और अवैध ऐप्स को लेकर काफी सख्त है। एक अधिकारी के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ऑनलाइन बुकिंग शुरू होने से एक दिन पहले, उन अवैध ऐप्स में टिकट बुक करने के लिए व्यक्ति का नाम और उम्र जैसी जानकारी भर दी जाती है। ताकि टिकट उपलब्ध होते ही उसे तुरंत बुक किया जा सके।

ऐसे मामले में आरपीएफ की नजर

मुंबई के वरिष्ठ संभागीय सुरक्षा आयुक्त ऋषि शुक्ला ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि आरपीएफ इस तरह के टिकट घोटालों पर लगातार नजर रखता है और उन्होंने ऐसे मामलों में कई गिरफ्तारियां भी की हैं।

बता दें कि कोई भी टिकट बुक करने के लिए ओटीपी और कैप्चा कोड की आवश्यकता होती है, ताकी यह पता लगाया जा सके कि बुकिंग रोबोट नहीं बल्कि इंसान के द्वारा की जा रही है। लेकिन अनधिकृत सिस्टम इन सुरक्षा उपायों को भी दरकिनार करने में कामयाब रहते हैं।

एक महीने पहले आया 'ब्रम्होस'

एवेंजर्स, टेस्ला और डॉ. डूम जैसे विभिन्न ऐप्स ने टिकट के मामले में रेलवे की परेशानी बढ़ा रखी है। टेस्ला पिछले छह महीनों से सक्रिय है, जबकि ब्रह्मोस एक महीने पहले आया है।

इन सॉफ्टवेयर को बनाने वाले इन्हें 1,500-2,500 रुपये प्रति माह की दर से बेचते हैं। इसमें टिकट बुक करने की कोई सीमा नहीं होती है।

ब्रह्मोस एक एडवांस्ड सॉफ्टवेयर है, जो प्रति पीएनआर 99 रुपये का चार्ज लेता है। एक अन्य अधिकारी ने कहा- एक पीएनआर पर छह यात्री और तत्काल में चार यात्री हो सकते हैं।

एक स्लीपर टिकट का 2 हजार लेते हैं दलाल

लाभ मार्जिन के बारे में बातचीत करते हुए एक अधिकारी ने कहा कि 800 रुपये की कीमत वाला एक स्लीपर टिकट, ये दलाल 2,000 रुपये में देते हैं। त्योहारों के मौसम में उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाली ट्रेनों के लिए कीमतें कई गुना बढ़ जाती हैं।

अधिकारी ने कहा- उदाहरण के लिए, थर्ड एसी में, जिसकी कीमत 2,300 रुपये होती है, वह 4,000 रुपये तक पहुंच जाती है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।

उन्होंने कहा कि जब से बुकिंग के लिए आधार सत्यापन अनिवार्य किया गया है, तब से काला बाजार में फर्जी पहचान पत्रों की मांग बढ़ गई है।

आरपीएफ के आईटी सेल ने इस साल 10 और पिछले साल अवैध टिकट बुकिंग से जुड़े 25-30 मामले दर्ज किए। अब तक कुल मिलाकर लगभग 50 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें सुपर सेलर्स, दलाल और डेवलपर शामिल हैं।

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