रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना में दो उन्नत स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि को शामिल किया।
भारतीय नौसेना की ताकत में मंगलवार को इजाफा हो गया है। नौसेना को दो नई स्टेल्थ फ्रिगेट्स आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि को सौंपे गए है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस समारोह की अध्यक्षता की है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार ये INS उदयगिरि और हिमगिरी स्वदेशी जहाज है। इनकी तैनाती से इंडो पैसिफिक क्षेत्र में होगी जिससे नौसेना की ताकत बढ़ेगी।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा निर्मित INS हिमगिरि और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा निर्मित INS उदयगिरि दोनों आधुनिक युद्धपोत हैं जिनका निर्माण स्वदेशी तौर पर किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि मुझे बताया गया है कि इन युद्धपोतों में कई उन्नत क्षमताएं हैं। इनमें लंबी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलें, स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर, टारपीडो लॉन्चर, युद्ध प्रबंधन प्रणाली और अग्नि नियंत्रण प्रणाली लगाई जा सकती हैं। ये दोनों युद्धपोत समुद्र में खतरनाक अभियानों में गेम-चेंजर साबित होंगे।
उन्होंने आगे कहा कि आईएनएस तमाल भारतीय नौसेना के लिए अंतिम विदेशी ऑर्डर था। हमने निर्णय लिया है कि भारतीय नौसेना के लिए भविष्य में कोई भी जहाज विदेश में नहीं बनाया जाएगा। हम अपने जहाज भारत में ही बनाएंगे। यह रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बहुत ही निर्णायक कदम है। इन युद्धपोतों के जलावतरण के साथ भारतीय नौसेना ने एक शताब्दी पूरी कर ली है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा आज आपने स्वदेशी F35 युद्धपोत का शुभारंभ किया है। एक देश के पास उड़ने वाला F-35 है और आपने तैरता हुआ F35 बनाया है, वह भी भारत में निर्मित।
उन्होंने कहा- हिंद महासागर में चल रहा शक्ति प्रदर्शन हमें बार-बार सचेत करता है। यहां कई देशों के हित टकराते हैं। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हमारी समुद्री तैयारी मजबूत बनी रहे।
इस दौरान राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, हमारे सशस्त्र बलों ने दुनिया को दिखाया कि हम ज़रूरत के समय कैसे काम कर सकते हैं। युद्धपोतों की त्वरित तैनाती और क्रियान्वयन के संदर्भ में भारतीय नौसेना द्वारा दिखाई गई योजना बहुत प्रभावी रही है। अगर नौसेना को मौका दिया गया होता, तो भेजा गया संदेश पूरी तरह से अलग होता।