Gruha Lakhsmi Scheme: गृह लक्ष्मी स्कीम के तहत घर की महिला मुखिया को हर महीने 2000 रुपये मिलते हैं, लेकिन फरवरी और मार्च 2025 के किश्तों का पैसा अब तक नहीं आया।
Gruha Lakhsmi Scheme: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की फ्लैगशिप गृह लक्ष्मी स्कीम में महीनों से भुगतान रुका होने से लाखों महिलाएं संकट में हैं। इस स्कीम के तहत घर की महिला मुखिया को हर महीने 2000 रुपये मिलते हैं, लेकिन फरवरी और मार्च 2025 के किश्तों का पैसा अब तक नहीं आया। कुछ लाभार्थियों ने तो पिछले तीन महीनों का फंड नहीं मिलने की शिकायत की है। विधानसभा में इस मुद्दे पर हंगामा हुआ, मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर ने गलत जानकारी देने पर माफी मांगी, जबकि विपक्षी BJP-JD(S) ने वॉकआउट किया।
बेलगावी सहित कई जिलों में महिलाएं किराया, बच्चों की फीस और घरेलू खर्च के लिए परेशान हैं। एक लाभार्थी ने कहा, 'तीन महीने हो गए, लेकिन पिछले तीन महीनों का पैसा नहीं आया। हमारे बच्चे हैं, किराया देना है, अपना घर नहीं है। अगर पैसा आ जाए तो बड़ी मदद होगी।' मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर के अपने निर्वाचन क्षेत्र बेलगावी में भी फंड नहीं पहुंचा, जहां एक अन्य महिला ने कहा, 'सिर्फ पिछले दो महीने का पैसा नहीं मिला, बाकी क्रेडिट हो गया। मैडम ने अच्छा किया, लेकिन दिक्कत तो है, मैनेज करना पड़ रहा है।'
17 दिसंबर 2025 को विधानसभा में मंत्री हेब्बालकर ने पहले दावा किया कि अगस्त 2025 तक सभी किश्तें दी जा चुकी हैं, लेकिन विपक्ष के सबूतों के बाद मानना पड़ा कि फरवरी-मार्च की किश्तें पेंडिंग हैं। उन्होंने माफी मांगी और कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से चर्चा कर जल्द भुगतान करेंगे। BJP-JD(S) ने वॉकआउट किया और सरकार पर वित्तीय संकट का आरोप लगाया।
केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सिद्धारमैया सरकार की कार्यक्षमता पर सवाल उठाते हुए पूछा कि दो महीनों का फंड कहां गया? विपक्ष फरवरी-मार्च के फंड की जांच की मांग कर रहा है। BJP का आरोप है कि गारंटी स्कीमों के नाम पर वोट तो लिए, लेकिन पैसा नहीं दे रहे।
यह कांग्रेस की पांच गारंटी स्कीमों में से एक है, जिसमें करीब 1.2 करोड़ महिलाओं को फायदा मिलता है। सालाना खर्च करीब 28,600 करोड़ रुपये है, जो राज्य बजट का बड़ा हिस्सा है। 2025-26 बजट में भी इसे जारी रखा गया है। सरकार का दावा है कि अब तक 46,000 करोड़ से ज्यादा DBT से दिए जा चुके हैं, लेकिन देरी से लाभार्थियों की मुश्किलें बढ़ी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वित्तीय संकट और तकनीकी दिक्कतें वजह हैं।