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5-6 लोगों के सामने हुई थी ‘सीक्रेट डील’, क्या अपने ही दांव में फंस गई कांग्रेस? 2 नेताओं की लड़ाई में आया नया मोड़!

कर्नाटक कांग्रेस आंतरिक संकट में फंसी है। डीके शिवकुमार खेमे ने दबाव बढ़ाया कि हाईकमान के सामने किया 2.5+2.5 साल का फॉर्मूला लागू हो और सिद्धारमैया आधे कार्यकाल बाद CM पद छोड़ें।

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Nov 26, 2025
डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और सीएम सिद्धारमैया (Photo-IANS)

कर्नाटक में सत्तारूढ़ सरकार नेतृत्व विवाद पर स्थिति स्पष्ट करने के मामले में कांग्रेस पार्टी अपने ही खड़े किए संकट में फंसी दिख रही है।

उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के समर्थक नेताओं की मांग है कि पार्टी के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में किया वादा पूरा होना चाहिए और सरकार के आधे कार्यकाल पर मुख्यमंत्री बदला जाना चाहिए।

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कांग्रेस में उपजे इस संकट की जड़ें 2023 विधानसभा चुनावों के बाद उन दिनों में गहरी हुई, जब शीर्ष नेतृत्व ने सिद्धरामय्या और शिवकुमार के बीच गतिरोध दूर करने के लिए कई दौर की बैठकें की। तब शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में कर्नाटक नेतृत्व को लेकर सीक्रेट डील हुई थी।

उप मुख्यमंत्री शिवकुमार ने भी मंगलवार को कहा कि 'पांच-छह लोगों के बीच की सीक्रेट डील है, जिसे वह सार्वजनिक नहीं करेंगे। यह बयान देकर उन्होंने नेतृत्व विवाद को और हवा दे दी है।

2023 में हुई थी सीक्रेट डील बैठक

विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस नेताओं की 8 मई 2023 को आखिरी दौर की बातचीत राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर हुई थी।

इस बैठक में सिद्धरामय्या, शिवकुमार, खरगे, पार्टी महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल, महासचिव (प्रदेश मामलों के प्रभारी) रणदीप सिंह सुरजेवाला और शिवकुमार के भाई व तत्कालीन बेंगलूरु ग्रामीण के सांसद डी.के. सुरेश मौजूद थे।

शिवकुमार ने मुख्यमंत्री बनने के लिए पहले 2.5 साल मांगे थे। लेकिन सिद्धरामय्या को वरिष्ठता और अनुभवों के आधार पर पहले ढाई साल दिए गए। तब पार्टी नेतृत्व ने सभी को इस सीक्रेट डील को सार्वजनिक करने से यह कहते हुए मना कर दिया था।

कथित तौर पर तब सिद्धरामय्या ने सुरेश से मुखातिब होकर कहा, मैं सिद्धरामय्या हूं। मैंने जो वादा किया है, उस पर कायम रहूंगा। ढाई साल पूरा होने से एक सप्ताह पहले इस्तीफा दे दूंगा। इससे सिद्धरामय्या पर एक नैतिक जिम्मेदारी आ गई।

…तो पार्टी की छवि पर पड़ेगा असर!

शिवकुमार खेमे का मानना है कि सिद्धरामय्या पर पद छोड़ने की नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने आसानी से सत्ता हस्तांतरित करना चाहिए। पार्टी के अंदर कोई बगावत नहीं है।

अगर सिद्धरामय्या वादे से पीछे हटते हैं, तो पार्टी की छवि पर असर डालेगा। क्योंकि, यह समझौता एक खुला सच है। शिवकुमार का भरोसा इस बात है कि गांधी परिवार उनकी वफादारी को मानेगा और उसका इनाम देगा।

Published on:
26 Nov 2025 08:21 am
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