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Maharashtra Elections: सियासत ले रही नई करवट, मराठा क्षत्रप के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती 

Maharashtra Elections:मराठा साम्राज्य की राजधानी व छत्रपति शिवाजी महाराज की कर्मभूमि सतारा में सियासत एक नई करवट ले रही है। पढ़ें राजीव मिश्रा की स्पेशल रिपोर्ट...

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Nov 16, 2024

सतारा। मराठा साम्राज्य की राजधानी व छत्रपति शिवाजी महाराज की कर्मभूमि सतारा में सियासत एक नई करवट ले रही है। मराठा क्षत्रप के उपनाम से मशहूर शरद पवार का करिश्मा मद्धम पडने लगा है और भाजपा धीरे धीरे अपना जनाधार बढ़ा रही है। एनसीपी विभाजन के बाद सतारा के नस-नस से वाकिफ पवार की चुनौतियां और बढ़ी हैं। वे नेता जो कभी शरद पवार की ताकत हुआ करते थे, आज या तो भाजपा में हैं या अजीत पवार के साथ। बदले सियासी समीकरण में शरद पवार के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है।

लोकसभा चुनाव के बाद बदला माहौल

लोकसभा चुनाव के बाद यहां का माहौल काफी बदला है। लोकसभा चुनावों के दौरान असरदार साबित हुआ मनोज जरांगे फैक्टर अब फीका हो चला है। कांग्रेस का संविधान बचाओ नारा भी लोकसभा चुनावों जैसा असरदार नहीं रहा। एनसीपी विभाजन और अजीत पवार के अलग होने से यहां लोगों के मन में शरद पवार के प्रति सहानुभूति लोकसभा चुनावों जैसी नहीं है। शिवाजी महाराज के दोनों वंशज अब भाजपा में हैं। उदयनराजे भोंसले सतारा से सांसद हैं और शिवेंद्र राजे भोंसले सतारा विधानसभा से भाजपा के उम्मीदवार। इस बार भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति और कांग्रेस गठबंधन महाअघाड़ी के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है।

खेती के भाव नहीं मिलते

महाराष्ट्र के अन्य जिलों की तरह यहां भी असल मुद्दे हाशिए पर हैं। आम मतदाता प्रदेश और देश की राजधानी में उछाले जा रहे मुद्दों के साथ बहते नजर आते हैं। दोनों गठबंधनों की ओर से की जा रही घोषणाएं ज्यादातर लोगों की जुबान पर हैं। हवा का रुख भांपने सतारा रेलवे स्टेशन पर उतरा तो चारों तरफ छाई हरियाली बेहद आकर्षक लगी। शहर स्टेशन से कुछ दूरी पर है। रास्ते में मिली कुमुदनी चव्हाण ने कहा कि, उन्हें लाडकी बहन योजना के 7500 रुपए मिल गए हैं। उनके क्षेत्र से एकनाथ शिंदे शिवसेना गुट के उम्मीदवार मैदान में हैं। उनका काम अच्छा है। पति सेना में हैं और यूपी में तैनात हैं। यहां खेती भी अच्छी है लेकिन, भाव नहीं मिलते।

महिलओं को बनाएं सक्षम

पेशे से वकील बबीता काले ने कहा कि, अगर सरकार महिलाओं को कुछ देना चाहती है तो उसे इतना सक्षम बनाए कि, कुछ देना ही नहीं पड़े। रविवार पेठ में साइकिल पर अमरूद बेचकर 5 सदस्यीय परिवार का गुजारा करने वाले विलास निवृति वायदंडे ने कहा कि उनके गांव के लोग आमदार (विधायक) को देखकर वोट देते हैं। वह रोजाना 140 किमी दौड़-भाग कर 400-500 रुपए अर्जित करते हैं। जब अमरूद का सीजन नहीं होता है तो मजदूरी करते हैं। पोवई नाका पर ऑटो चालक नवनाथ शिंदे ने कहा कि, शरद पवार ने यहां काफी काम किया है। उनको समर्थन मिलेगा।

भाजपा जमा रही पांव

एक समय सतारा में शरद पवार की लोकप्रियता ऐसी थी कि, उनके इशारे पर सबकुछ चलता था। आज भी ग्रामीण इलाकों में शरद पवार के प्रति लोगों की वही भावना है। लेकिन देवेंद्र फणडवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद राजनीति काफी बदली और एनसीपी के नेता धीरे-धीरे भाजपा का रुख करने लगे। सतारा शहर में भाजपा मजबूत नजर आती है। जिले की 8 विधानसभा सीटों में से 5 पर शरद पवार के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। इनमेें से 2 सीटों (फलटण और वाई) पर उसका मुकाबला अजीत पवार की एनसीपी के साथ है। फलटण में शरद गुट और वाई में अजीत पवार गुट के उम्मीदवार मजबूत दिखते हैं। भाजपा 4 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और तीन सीटों पर कड़े मुकाबले में है। इन तीन सीटों में से एक सतारा विधानसभा क्षेत्र है जहां से छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज छत्रपति शिवेंद्र राज भोंसले चुनाव लड़ रहे हैं। यहां भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद है। शिवसेना यूबीटी और शिंदे गुट के उम्मीदवार एक-एक सीट पर आमने-सामने है।

...तो बनेगा एक नया इतिहास

सतारा जिले में कांग्रेस सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र कराड़ दक्षिण से चुनाव लड़ रही है। संभवत: कराड़ दक्षिण देश का एकमात्र विधानसभा क्षेत्र है जहां आजादी के बाद से आज तक हुए किसी भी चुनाव में कांग्रेस नहीं हारी। यहां से तीसरी बार महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण मैदान में हैं। लेकिन, उनके खिलाफ असंतोष की बात भी सामने आ रही है। भाजपा के अतुल भोंसले उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। अगर यहां कोई उलटफेर होता है तो एक नया इतिहास बनेगा।

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