India-Nepal border: भारत-नेपाल पुलिस ने भारत-नेपाल सीमा पर बिहार के जोगबनी इलाके में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 38 मानव खोपड़ियां (Human skulls) और हाथ-पैर के कंकाल बरामद किए हैं। ये कंकाल एक रिक्शे में छिपा कर नेपाल (India-Nepal border) ले जाए जा रहे थे। यह तस्करी नेपाल के विराटनगर निवासी बिनोद राय ने की, […]
India-Nepal border: भारत-नेपाल पुलिस ने भारत-नेपाल सीमा पर बिहार के जोगबनी इलाके में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 38 मानव खोपड़ियां (Human skulls) और हाथ-पैर के कंकाल बरामद किए हैं। ये कंकाल एक रिक्शे में छिपा कर नेपाल (India-Nepal border) ले जाए जा रहे थे। यह तस्करी नेपाल के विराटनगर निवासी बिनोद राय ने की, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। नेपाल से ये कंकाल चीन भेजने का इरादा था, जहां इनका ब्यूटी प्रोडक्ट्स और नशीले पदार्थ बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।भारत और नेपाल दोनों देशों में यह मामला मानव अंगों की अवैध तस्करी का गंभीर रूप से चिंताजनक बनता जा रहा है। बिहार के कई जिलों से कब्रिस्तानों से कंकालों की चोरियां (graveyard theft) पहले भी सामने आ चुकी हैं। इस संबंध में जांच एजेंसियां ( security agencies )इस मामले में गहरे स्तर पर जांच कर रही हैं और तस्करी के नेटवर्क का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं।
भारत और नेपाल के बीच खुली सरहद तस्करी के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। जानकारी के अनुसार जोगबनी सीमा पर न तो पहचान पत्र की जांच होती है और न ही कोई प्रभावी बॉर्डर चैकिंग ही होती है। यही वजह है कि तस्कर और अपराधी इसका फायदा उठा रहे हैं। इस खुली सीमा के कारण तस्करी और अन्य अपराध रोकने में दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों को मुश्किल हो रही है।
यह पहली बार नहीं है जब जोगबनी सीमा से मानव कंकाल बरामद हुए हैं। इससे पहले अक्टूबर 2021 में एक मारुति वैन से 28 मानव कंकाल बरामद हुए थे और 2022 में पूर्णिया निवासी आदित्य सिन्हा को 46 हड्डियों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि मानव अंगों की तस्करी का नेटवर्क नेपाल और भारत दोनों देशों में फैला हुआ है।
बिहार की जोगबनी सीमा पर तैनात एसएसबी की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठ रहे हैं। इस घटनाक्रम से यह संकेत मिला है कि सीमा सुरक्षा में कहीं न कहीं पोलमपोल है। क्योंकि तस्कर भारतीय सुरक्षा बलों को चकमा देने में कामयाब हो रहे हैं, और इसका नतीजा यह है कि मानव कंकालों की बेधड़क तस्करी जारी है। एसएसबी को अपनी रणनीति और कार्यप्रणाली में सुधार करना होगा, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
यह भी सवाल उठता है कि कब्रिस्तानों की सुरक्षा कितनी प्रभावी है। क्या कोई गिरोह कब्रों से कंकाल चुराकर इन्हें नेपाल और चीन भेज रहा है? क्या जांच एजेंसियों को इस गिरोह का पूरा नेटवर्क पता चल चुका है? इन सवालों का जवाब ढूंढना आवश्यक है।
भारत और नेपाल की सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह समय की आवश्यकता है कि वे मिलकर इस तस्करी के नेटवर्क खत्म करने के लिए कदम उठाएं। तस्कर सीमा खुली हुई होने का फायदा उठा कर किसी भी तरह से अपने उददेश्य में सफल हो जाते हैं, और इसके कारण दोनों देशों के लिए यह एक बड़ी सुरक्षा चुनौती बन गया है।