मीडिया से बात करते हुए ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि MGNREGA योजना से गांधीजी का नाम हटाना शर्मनाक है। ममता ने कहा, अगर वे राष्ट्रपिता को सम्मान नहीं दे सकते, तो हम देंगे।
लोकसभा में गुरुवार को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच VB-G-RAM-G विधेयक पारित हो गया। वहीं राज्यसभा में भी विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और विधेयक की प्रतियां फाड़ दीं। कांग्रेस ने दावा किया कि प्रस्तावित विधेयक ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को पूरी तरह खत्म कर देगा। इसी बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि राज्य की सरकारी नौकरी गारंटी योजना ‘कर्मश्री’ का नाम बदला जाएगा।
मीडिया से बात करते हुए ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि MGNREGA योजना से गांधीजी का नाम हटाना शर्मनाक है। ममता ने कहा, अगर वे राष्ट्रपिता को सम्मान नहीं दे सकते, तो हम देंगे। ममता बनर्जी की यह टिप्पणी और बंगाल की रोजगार गारंटी योजना का नाम बदलने का फैसला ऐसे समय में आया है, जब लोकसभा ने विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक पारित किया है। यह विधेयक यूपीए सरकार के समय की MGNREGA योजना का स्थान लेगा, जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी देती थी।
लोकसभा में जी-राम-जी विधेयक के पारित होने पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, “हम इस विधेयक का कड़ा विरोध करेंगे। यह विधेयक MGNREGA को समाप्त कर देगा, जिसने कोविड काल में भी गरीब मजदूरों को सहारा दिया था। यह विधेयक श्रमिकों, मजदूरों और गरीबों के खिलाफ है और हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे।”
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा कि जी-राम-जी योजना का उद्देश्य गरीबों को सशक्त बनाना और गांवों व शहरों के बीच की खाई को कम करना था। उन्होंने कहा, महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा उसके गांवों में बसती है और यह योजना उसी सोच के तहत लाई गई थी। हालांकि, उन्होंने विधेयक पारित होने के दौरान विपक्ष के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि यह पूरी तरह शर्मनाक था।
चिराग पासवान ने कहा कि विरोध करना विपक्ष का अधिकार है, लेकिन सदन की गरिमा बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है। उन्होंने कहा, अध्यक्ष का अपमान किया गया, कागज फाड़े गए, हवा में उछाले गए और कागज के हवाई जहाज बनाकर अध्यक्ष की ओर फेंके गए। यह सारी हदें पार करने जैसा था। उन्होंने आगे कहा कि स्थिति तब और बिगड़ गई, जब कांग्रेस सांसद अध्यक्ष के सामने खड़े होकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। यह संसदीय मर्यादा का खुला उल्लंघन था।