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MGNREGA: राम का नाम बदनाम नहीं करे मोदी सरकार, सदन के भीतर थरूर ने जमकर सुनाई खरी-खोटी

MGNREGA name change row: शशि थरूर ने कहा कि मेरी पहली शिकायत यह है कि इसका नाम बदला जा रहा है, जो पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ऊपर पर था।

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Dec 16, 2025
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने VB-जी राम जी विधेयक का किया विरोध (Photo-IANS)

MGNREGA: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मनरेगा का नाम बदलने वाले विधेयक को पेश किया गया। मोदी सरकार इस विधेयक में मनरेगा को अब ‘विकसित भारत-जी राम जी’ योजना का नाम देने की तैयारी में है। वहीं विधेयक का कांग्रेस ने विरोध किया। मंगलवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सदन में कहा कि मैं मनरेगा स्कीम से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम बदलने के खिलाफ हूं। साथ ही कहा कि राम के नाम को बदनाम ना करो।

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थरूर ने विधेयक का किया विरोध

लोकसभा में बोलते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, ‘मैं प्रस्तावित VB–G RAM G विधेयक को पेश किए जाने का कड़ा विरोध करता हूं। यह विधेयक हमारे देश के लिए और समाज के सबसे कमजोर एवं वंचित वर्गों के कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के लिए एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और प्रतिगामी कदम है। यह न केवल अब तक की सामाजिक प्रगति को पीछे धकेलता है, बल्कि उन लोगों के हितों को भी नुकसान पहुँचाता है जिन्हें संरक्षण और समर्थन की सबसे अधिक आवश्यकता है।

‘राम का नाम बदनाम ना करो’

सदन में बोलते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद ने कहा कि मेरी पहली शिकायत यह है कि इसका नाम बदला जा रहा है, जो पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ऊपर पर था। महात्मा गांधी चाहते थे कि हर गांव सशक्त हो और राम राज्य जैसी स्थिति बने। राष्ट्रपिता के नाम को हटाना गलत है और नैतिकता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि राम का नाम बदनाम ना करो।

‘गरीब राज्यों के लिए लागू करना नामुमकिन हो जाएगा’

थरूर ने आगे कहा कि हमें बिल में प्रपोज किए गए फाइनेंशियल रीस्ट्रक्चरिंग पर भी गंभीरता से सवाल उठाना चाहिए। फाइनेंशियल बोझ का 40 परसेंट सीधे राज्य सरकारों पर डालने का प्रपोजल न सिर्फ़ फाइनेंशियली गैर-ज़िम्मेदाराना है बल्कि यह एक ऐसा कदम है जिससे पूरे प्रोग्राम के बेकार होने का खतरा है। जिम्मेदारी में यह अचानक और बड़ा बदलाव गरीब राज्यों के लिए इसे लागू करना नामुमकिन बना देगा।

पेमेंट में होगी देरी

कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि इससे सैलरी पेमेंट में देरी होगी, काम के दिनों की संख्या कम होगी, और आखिर में स्कीम ही खत्म हो जाएगी। यह फिस्कल फेडरलिज्म का साफ उल्लंघन है, इसीलिए मेरा मानना ​​है कि हमारे पास ऐसा बदलाव करने के लिए कानूनी काबिलियत नहीं है।

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Published on:
16 Dec 2025 03:06 pm
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