राहुल गांधी ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर बहस के दौरान बोलते हुए केंद्र से तीन प्रश्न पूछे और सरकार के समक्ष चार मांगें रखीं।
Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान जोरदार हंगामा हुआ। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ईवीएम, वोटर लिस्ट में कथित हेरफेर और आरएसएस द्वारा सभी संस्थाओं पर कब्जा करने का गंभीर आरोप लगाया। जवाब में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने तीखा पलटवार करते हुए कहा कि पहली बार ईवीएम भारत में राजीव गांधी के समय ही आई थीं।
राहुल गांधी के भाषण के तुरंत बाद बोलते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, मैं आरएसएस से हूँ और मुझे इस पर गर्व है। उन्होंने राहुल पर तंज कसते हुए कहा, आए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास। खोदा पहाड़, निकली चुहिया। यह वही कांग्रेस है जो शहीदों की चिताओं पर खड़ी हुई, जिसने देश को बाँटा। आज राहुल गांधी काँपते और कन्फ्यूज नजर आ रहे थे। अचानक वे संविधान की बात करने लगे। मैं 1976 की पूरी संविधान संशोधन बहस लेकर आया हूं – कैसे कांग्रेस ने संविधान को कुचला, इसका उनके पास कोई जवाब नहीं है।
निशिकांत दुबे ने चुनाव सुधारों पर कांग्रेस को घेरते हुए कहा, 'इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति को रबर स्टैंप बना दिया, प्रेस की आजादी छीन ली, अपने चहेते को मुख्य न्यायाधीश बनवाया। और पहली बार ईवीएम भारत में राजीव गांधी के समय ही आईं।' उन्होंने आगे कहा कि 1961 और 1971 में ही विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) और EVM की जरूरत पर चर्चा हो चुकी थी।
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर बहस के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि वे तीन सवाल पूछना चाहते हैं, जिनसे साबित हो जाएगा कि भाजपा चुनाव आयोग का इस्तेमाल कर लोकतंत्र को कमजोर कर रही है:
—मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति समिति से CJI को क्यों हटाया गया?
—चुनाव आयुक्तों को पद से हटाने में कैबिनेट सचिव जैसी उन्मुक्ति क्यों दी गई?
—चुनाव प्रक्रिया और मतगणना की CCTV रिकॉर्डिंग सार्वजनिक क्यों नहीं की जाती?
राहुल ने इसके साथ ही चार मांगें भी रखीं – जिनमें ईवीएम-वीवीपैट की 100% मिलान, मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर नाम कटने की जाँच, नियुक्ति समिति में CJI की वापसी और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया। भाजपा सांसदों ने राहुल के आरोपों को खारिज करते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया। लोकसभा में इस मुद्दे पर चर्चा जारी है।