मार्च 2025 में संसद में केंद्र सरकार ने बताया था कि 8 देशों में 49 भारतीय नागरिकों को मौत की सजा सुनाई गई है। इसमें सबसे ज्यादा 25 संयुक्त अरब अमीरात में है।
Nimisha Priya Death Sentence: विदेशों में भारतीय लोगों को मौत की सजा का सामना करना कोई नई बात नहीं है। मार्च 2025 में संसद में केंद्र सरकार ने बताया था कि 8 देशों में 49 भारतीय नागरिकों को मौत की सजा सुनाई गई है। इसमें सबसे ज्यादा 25 संयुक्त अरब अमीरात में है। यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है। इस मामले ने एक बार फिर संवेदनशील मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है। आइए जानते हैं कि निमिषा प्रिया के अलावा किन-किन भारतीयों को अन्य देश में मौत की सजा सुनाई गई…
निमिषा प्रिया यमन में 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 2020 में स्थानीय अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई और 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने उनकी अपील खारिज कर दी। जनवरी 2024 में यमन के हूती विद्रोहियों के शीर्ष राजनीतिक परिषद ने निमिषा के फांसी को मंजूरी दे दी और अब 16 जुलाई को निमिषा को फांसी दी जानी है। भारत सरकार इस मामले में सक्रिय रूप से हस्तक्षेप कर रही है और यमन के अधिकारियों के साथ-साथ पीड़ित के परिवार के साथ 'ब्लड मनी' (रक्त धन) के जरिए समझौता करने की कोशिश की जा रही है।
यूएई में उत्तर प्रदेश की शहजादी खान को 2022 में एक चार महीने के बच्चे की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया और 15 फरवरी 2025 को उन्हें फांसी दी गई। उनके परिवार ने दावा किया कि बच्चे की मौत टीकाकरण की गलती के कारण हुई थी, लेकिन अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया। इसके अलावा, केरल के दो नागरिक, मुहम्मद रिनाश अरंगीलोट्टू और मुरलीधरन पेरुमथट्टा वलप्पिल को भी हत्या के आरोप में फांसी दी गई।
इंडोनेशिया में तीन भारतीय नागरिकों-रजू मुथुकुमारन, सेल्वादुरई दिनाकरन, और गोविंदसामी विमलकांधन- को 2025 में नशीले पदार्थों की तस्करी के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने और कांसुलर सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। इनके परिवारों का कहना है कि उनके पास अपील के लिए वित्तीय साधन नहीं हैं, जिसके कारण भारत सरकार और दूतावास उनकी मदद कर रहे हैं।
कतर में 2023 में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। इन पर कथित तौर पर इजरायल के लिए कतर के सबमरीन प्रोग्राम की जासूसी का आरोप था। भारत सरकार ने इस फैसले को "हैरान करने वाला" बताया था। हालांकि बाद में कतर ने सभी को रिहा कर दिया था। भारत के अनुरोध पर उनकी सजा को कतर के अमीर ने पहले ही कम कर दिया था और उम्रकैद में बदल दिया था।