पाकिस्तान के लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) में संस्कृत के विशेष कोर्स की शुरुआत की गई है। इसके साथ ही महाभारत और भगवद् गीता पर अलग-अलग विशेष कोर्स शुरू करने की भी तैयारी है।
यह खबर सुनकर आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि अब पाकिस्तान में भी संस्कृत भाषा की पढ़ाई शुरू हुई है। साथ ही महाभारत और भगवद् गीता भी पढ़ाया जाएगा। आपको बता दें कि पहली बार पाकिस्तान में औपचारिक रूप से संस्कृत भाषा की पढ़ाई शुरू की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) ने संस्कृत का विशेष कोर्स लॉन्च किया है, जिसमें महाभारत और भगवद् गीता के संस्कृत श्लोकों को पढ़ना, सही उच्चारण और अर्थ की व्याख्या कराई जाएगी। संस्कृत के प्रोफेसर का मानना है कि भाषा केवल ग्रंथों तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज, नैतिक मूल्यों और जीवन की सच्चाइयों को समझने का माध्यम भी है।
संस्कृत के अध्ययन से जुड़े प्रोफेसर शाहिद रशीद ने जानकारी दी कि महान संस्कृत व्याकरणाचार्य पाणिनि का गांव लाहौर क्षेत्र में ही माना जाता है। इसके अलावा सिंधु घाटी सभ्यता और हड़प्पा काल के दौरान रचित कई संस्कृत ग्रंथों की जड़ें भी इसी क्षेत्र से जुड़ी हैं। इन्हीं ऐतिहासिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए संस्कृत कोर्स का प्रस्ताव शिक्षा विभाग को भेजा गया था, जिसे मंजूरी मिल गई। उनका मानना है कि दर्शन, साहित्य और आध्यात्मिक परंपराओं को समझने के लिए संस्कृत को पूरे पाकिस्तान के शैक्षणिक ढांचे का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। उनके अनुसार, संस्कृत किसी एक देश या धर्म तक सीमित नहीं, बल्कि एक वैश्विक सांस्कृतिक धरोहर है।
LUMS के गुरमानी सेंटर के डायरेक्टर डॉ. अली उस्मान कासमी ने बताया कि फिलहाल संस्कृत को एक वीकेंड प्रोग्राम के रूप में शुरू किया गया है, जो छात्रों के साथ-साथ रिसर्चर्स, वकीलों और शिक्षाविदों के लिए भी खुला है। बढ़ती रुचि को देखते हुए यूनिवर्सिटी अब इसे नियमित अकादमिक कोर्स में बदलने की तैयारी कर रही है। उन्होंने आगे बताया कि योजना है कि वर्ष 2027 तक संस्कृत को एक साल के पूर्ण कोर्स के रूप में तैयार किया जाए। इसके अलावा महाभारत और भगवद् गीता पर अलग-अलग विशेष कोर्स शुरू करने की भी तैयारी है।