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शेख हसीना की वापसी या खालिदा जिया का पलटवार ! क्या बांग्लादेश में यूनुस करवा पाएंगे निष्पक्ष चुनाव ?

Bangladesh 13th General Election: बांग्लादेश में 13वें आम चुनाव की घोषणा ने सियासी हलचल बढ़ा दी है, जहां मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ अवामी लीग (शेख हसीना) और विपक्षी बीएनपी के बीच है।

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भारत

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MI Zahir

Dec 12, 2025

Bangladesh 13th General Election

मुहम्मद यूनुस, शेख हसीना और खालिदा जिया। (फोटो डिजाइन: पत्रिका)

Bangladesh 13th General Election: बांग्लादेश में तेरहवें आम चुनाव की घोषणा (Bangladesh 13th General Election) होते ही पूरे देश की राजनीति गरमा गई है। यह चुनाव इसलिए भी अहम है, क्योंकि 2018 के बारहवें आम चुनाव के नतीजों को लेकर विपक्ष ने जम कर हंगामा किया था। उस चुनाव में सत्तारूढ़ अवामी लीग (Awami League) ने 300 सीटों वाली संसद में 288 सीटें जीत कर भारी बहुमत हासिल किया था। तब विपक्ष (Awami League vs BNP) ने इसे धोखाधड़ी बताया था। पिछले चुनाव में धांधली के आरोपों के बाद, इस बार सबसे बड़ा सवाल मुहम्मद यूनुस की निष्पक्षता और शेख हसीना (Sheikh Hasina Reelection) के मजबूत वर्चस्व को तोड़ने में विपक्षी गठबंधन की सफलता पर टिका हुआ है। अब सवाल यह है कि इस बार अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस के रहते क्या चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के प्रति जनता का भरोसा (Bangladesh Political Crisis) कायम रहेगा ?

बांग्लादेश के पिछले चुनाव में शेख हसीना ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी। (विजुअल: पत्रिका)

बांग्लादेश की संसद का गणित

बांग्लादेश की संसद को जातीय संसदीय सभा (Jatiya Sangsad) कहते हैं, इसमें महिलाओं की मिला कर कुल 350 सीटें हैं। इनमें से 300 सीटों पर प्रत्यक्ष चुनाव होता है, जबकि 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, जिन्हें राजनीतिक दल अपने चुनावी प्रदर्शन के आधार पर नामित करते हैं।

बांग्लादेश के प्रमुख राजनीतिक दल और उनका जनाधार

बांग्लादेश की राजनीति मुख्य रूप से अवामी लीग और BNP के इर्द-गिर्द घूमती है।

पार्टी का नामअध्यक्ष/मुख्य नेतामुख्य आधार/विचारधाराजनाधार की स्थिति
अवामी लीगशेख हसीना (प्रधानमंत्री)आर्थिक विकास, धर्मनिरपेक्षता, स्वतंत्रता संग्रामशहरी/ग्रामीण मध्यम वर्ग, गरीब जनता, हिंदू-मुस्लिम एकता समर्थक। मजबूत स्थिति में।
BNPखालिदा ज़िया (जेल में)लोकतंत्र की बहाली, राजनीतिक स्वतंत्रताग्रामीण जनता, निम्न आय वर्ग, इस्लामी विचारधारा से सहानुभूति रखने वाले। गठबंधन बनाकर संघर्षरत।
जमात-ए-इस्लामी(अवैध घोषित)इस्लामी विचारधारा, शरिया कानूनधार्मिक मुस्लिम समुदाय। वर्तमान में चुनाव से बाहर।
जातीय पार्टी(नेतृत्व में परिवर्तन)समाजवादी और औद्योगिक विकासशहरी मध्य वर्ग में कुछ प्रभाव।

सबसे बड़े सवाल: कौन बनाएगा सरकार और क्या होगा हसीना का भविष्य ?

बांग्लादेश में अवामी लीग की वापसी की संभावना सबसे अधिक है। शेख हसीना ने पिछले कार्यकाल में अर्थव्यवस्था को मजबूत किया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि सुधारी है। हालांकि, यदि बीएनपी (BNP) के नेतृत्व वाला विपक्षी महागठबंधन मजबूत हुआ और चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष हुए, तो यह परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं।

क्या शेख हसीना चुनाव लड़ सकती हैं ?

हाँ! शेख हसीना अवामी लीग की ओर से प्रधानमंत्री पद की प्रमुख उम्मीदवार हैं। बांग्लादेश के कानून के तहत, उन्हें चुनाव लड़ने से कोई रोक नहीं है। यह बात दीगर है कि वे भारत में हैं और बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई है। जीतने पर जनादेश उन्हें देश में वापस ला सकता है और हारने पर फांसी की सजा को अमली जामा पहनाया जा सकता है।

क्या मुहम्मद यूनस निष्पक्ष चुनाव करवा सकेंगे ?

नोबेल पुरस्कार विजेता और अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनस चुनाव को निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन यही सबसे बड़ी चुनौती है। विपक्षी दलों बीएनपी (BNP) का सीधा आरोप है कि चुनाव आयोग का झुकाव सत्तारूढ़ अवामी लीग की ओर है। चुनाव आयोग की निष्पक्षता ही इस चुनाव की विश्वसनीयता तय करेगी।

भारत से शेख हसीना का नाता

शेख हसीना पहले भी भारत आई थीं, यह तथ्य अक्सर बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा है। उनके पिता, शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद, शेख हसीना ने 1975 से 1981 तक भारत में राजनीतिक शरण ली थी। यह उनके और भारत के बीच व्यक्तिगत और राजनीतिक संबंधों को दर्शाता है।

बांग्लादेश चुनाव: मौजूदा हालात और विश्लेषण

अवामी लीग की रणनीति: पार्टी आर्थिक विकास और मेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को आगे कर रही है, साथ ही हिंदू-मुस्लिम एकता को अपना मुख्य आधार बनाए हुए है।

देश में विपक्षी दलों की रणनीति

बीएनपी (BNP) लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली और चुनाव में निगरानी सरकार (Caretaker Government) की मांग पर जोर दे रही है। जेल की हवा खा चुकीं खालिदा ज़िया भी सत्ता से बाहर होने के कारण, पार्टी जनता के बीच असंतोष को भुनाने की कोशिश करेगी।

नोबेल पुरस्कार विजेता यूनुस की अग्नि परीक्षा

बहरहाल, अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस के लिए यह एक बड़ी अग्नि परीक्षा है। अगर चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए तो बांग्लादेश की लोकतांत्रिक विश्वसनीयता को भारी नुकसान होगा। यूनुस को अवामी लीग के दबाव और विपक्षी दलों के आरोपों, दोनों का सामना करना है। यदि वह निष्पक्षता साबित करते हैं, तो यह चुनाव बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।