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Patrika Explainer: अब सिर्फ 4 घंटे में मौसम की सटीक जानकारी देगा नया BFS, इस स्वदेशी प्रोजक्ट को ये चार महिलाएं कर रहीं लीड

BSF for Better Weather Forecast: भारत में मौसम का पूर्वानुमान लगाने की स्वदेशी तकनीक प्रणाली भारत फोरकास्टिंग सिस्टम लॉन्च हो गया है। इसे आईआईटीएम ने तैयार किया है। विस्तार से जानने के लिए पढ़िए पुष्पेश शर्मा की रिपोर्ट...

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May 28, 2025
BFS Launched for Weather forecast

BFS Launched: भारत में मौसम का पूर्वानुमान लगाने की तकनीक कुछ वर्षों में काफी उन्नत हुई है। इसी का नतीजा है कि मौसम विभाग (Weather Department) अब पहले से ज्यादा बेहतर और सटीक तरीके से गर्मी, वर्षा, ठंड, चक्रवात और अन्य मौसम के अनुमानों की जानकारी देता है। अब केंद्र सरकार ने नया भारत फोरकास्टिंग सिस्टम (BFS) लॉन्च किया है, जिससे मौसम के पूर्वानुमान और सटीक मिल सकेंगे। बीएफएस पूरी तरह स्वदेशी प्रणाली है। इसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटिरियोलॉजी (IITM) ने तैयार किया है। मौसम विभाग इस मानसून सीजन से ही इसकी सेवाएं लेगा। जानिए क्या है बीएफएस और कैसे काम करता है?

12 किलोमीटर से घटकर 6 किलोमीटर तक रेजोल्यूशन

Bharat Forecast System : अब तक भारत का मौसम पूर्वानुमान भी 12 किलोमीटर ग्रिड मॉडल पर आधारित था। बीएफएस ने इस दूरी को 6 किलोमीटर तक घटा दिया है। यानी पूर्वानुमान की परिधि 4-5 गांवों के समूह की बजाय हर गांव तक संभव होगी। इससे बारिश के पूर्वानुमान में 30त्न तक बेहतर होगा। साथ ही मानसून कोर क्षेत्र की सटीकता भी 64त्न तक बढ़ सकती है।

सुपरकंप्यूटर अर्का ने दी तूफानी रफ्तार

बीएफएस लिए सुपरकंप्यूटर ‘अर्का’ को चुना गया है। ये हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग सिस्टम है। 11.77 पेटाफ्लॉप्स की कंप्यूटिंग स्पीड और 33 पेटाबाइट्स की स्टोरेज क्षमता के साथ अर्का मॉडल रन टाइम महज 4 घंटे कर देता है। पहले की ‘प्रत्यूष’ प्रणाली को मौसम पूर्वानुमान चलाने में 10 घंटे लगते थे।

100 डॉपलर के बाद कम होगा समय

बीएफएस को चलाने के लिए देशभर के 40 डॉपलर मौसम रडार के नेटवर्क से डेटा का इस्तेमाल करेंगे। बाद में इनकी संख्या 100 कर दी जाएगी। इससे अगले दो घंटों का भी पूर्वानुमान बताया जा सकेगा।

क्यों जरूरी है यह मॉडल

उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में मौसम अस्थिर होता है। मौसम पैटर्न में बदलाव होते रहते हैं। स्थानीय स्तर के परिवर्तनों को पकडऩे के लिए ऊंचे रिजॉल्यूशन मॉडल की जरूरत होती है। ऐसे में नया मॉडल क्षेत्रीय स्तर की जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी कारगर होगा।

लीड कर रहीं 4 महिला वैज्ञानिक

बीएफएस की एक और उपलब्धि है कि इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व चार महिला वैज्ञानिक कर रही हैं। इनमें डॉ. सुवर्णा फडनवीस, डॉ. स्वप्ना पनिक्कल, डॉ. सुष्मिता जोसेफ और डॉ. मेधा देशपांडे ने अहम भूमिका निभाई है।

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