Pamela Bordes: जयपुर की पूर्व मिस इंडिया पामेला बोर्डेस के ब्रिटिश संसद पास और हाई-प्रोफाइल रिश्तों ने साल 1989 में पूरे लंदन को हिला दिया था। यह स्कैंडल मीडिया सनसेशन बना, लेकिन क्या वाकई यह जेफ्री एपस्टीन जैसा बड़ा मामला था?
Pamela Bordes Scandal: यह 1989 का मार्च के महीने की बात (Viral History) है। लंदन की सर्द हवाएं चल रही थीं, लेकिन ब्रिटिश संसद(British Parliament Scandal) के गलियारों में एक तूफान उठने वाला था। एक भारतीय लड़की, जिसने कभी जयपुर के रेतीले रास्तों पर स्कूल की यूनिफॉर्म में कदम रखे थे, अचानक दुनिया की सबसे पुरानी संसद के दरवाजे खोल चुकी थी। उसका नाम था पामेला सिंह। दुनिया उसे पामेला बोर्डेस के नाम से जानने वाली थी। पामेला (Pamela Singh) का जन्म तो दिल्ली में हुआ था, लेकिन बचपन जयपुर में बीता। महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल की वो लड़की, जो क्लास में हमेशा आगे बैठती थी। पढ़ाई में तेज, खूबसूरती में बेमिसाल। सन 1982 (Miss India 1982) में जब उसने मिस इंडिया का ताज पहना, तो लगा सपना सच हो गया। मिस यूनिवर्स के स्टेज पर भारत का झंडा लहराया। लेकिन पामेला को भारत की चकाचौंध काफी नहीं लगी। उसका मन विदेश की चमक-दमक की ओर (Pamela Bordes Scandal) खिंचा चला गया।
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यूरोप पहुंची तो एक फ्रेंच प्रोड्यूसर हेनरी बोर्डेस से शादी कर ली। नाम बदल गया – पामेला बोर्डेस। पासपोर्ट मिल गया, और लंदन की हाई सोसाइटी के दरवाजे खुल गए। वहां की पार्टियां, वहां के अमीर लोग, वहां की रौनक। पामेला जल्दी ही सबकी पसंद बन गई। उसकी मुस्कान में जादू था, बातों में नजाकत थी।
लंदन में उसकी जिंदगी तेज रफ्तार से दौड़ने लगी। संडे टाइम्स के संपादक एंड्र्यू नील उसके करीब आए। फिर ऑब्जर्वर के संपादक डोनाल्ड ट्रेलफोर्ड। स्पोर्ट्स मिनिस्टर कोलिन मोयनीहन भी उसके दोस्तों में शामिल हो गए। सबसे हैरान करने वाला नाम था 'अदनान खशोगी', दुनिया का सबसे बड़ा हथियार डीलर। पामेला अब सिर्फ एक खूबसूरत चेहरा नहीं थी। वह पॉवर के गलियारों में घूमने वाली औरत थी। लेकिन सबसे बड़ा सरप्राइज तब आया जब पता चला कि पामेला के पास ब्रिटिश संसद हाउस ऑफ कॉमन्स का आधिकारिक पास है। वह कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद डेविड शॉ की रिसर्च असिस्टेंट थीं। पास दूसरे सांसद हेनरी बेलिंगहम ने दिलवाया था। मतलब, ब्रिटेन की सबसे सुरक्षित इमारत में एक पूर्व मिस इंडिया बेरोकटोक आ-जा सकती थी।
फिर आया वो दिन – मार्च 1989। न्यूज ऑफ द वर्ल्ड अखबार ने बम फोड़ा। हेडलाइन थी: "कॉल गर्ल वर्क्स इन कॉमन्स"। एक अंडरकवर रिपोर्टर ने दावा किया कि पामेला हाई-क्लास एस्कॉर्ट है। एक रात के लिए 500 से 1000 पाउंड। फोटो थे, बातचीत के टेप थे। अचानक पूरी ब्रिटेन की नजर पामेला पर टिक गई।
संसद में हड़कंप मच गया। विपक्षी लेबर पार्टी ने चीख-पुकार मचाई। "संसद की सुरक्षा भंग हो गई!" "राज्य के राज किसी बाहरी औरत के हाथ में!" 23 मार्च को हाउस ऑफ कॉमन्स में बहस हुई। सांसद एक-दूसरे पर चिल्ला रहे थे। मार्गरेट थैचर की सरकार पर सवाल उठे। क्या ये प्रोफुमो अफेयर की तरह दूसरा बड़ा स्कैंडल है? अफवाहों का बाजार गर्म हो गया। कहा गया कि पामेला का संबंध लीबिया के खुफिया अधिकारी अहमद गद्दाफ अल-दाम से है, जो कर्नल गद्दाफी का रिश्तेदार था।
क्या पामेला हनीट्रैप थी? क्या वह अनजाने में जासूसी कर रही थी? MI5 ने जांच शुरू की। स्पेशल ब्रांच सक्रिय हो गई। हर कोने से खबरें आ रही थीं। लेकिन जांच में कुछ बड़ा नहीं निकला। MI5 ने कहा – कोई ठोस सुबूत नहीं। पामेला कोई जासूस नहीं। सांसद डेविड शॉ और हेनरी बेलिंगहम ने कहा, "वह बहुत अच्छी रिसर्चर थी। हमने कुछ गलत नहीं किया।" एंड्र्यू नील ने अपना रिश्ता स्वीकार किया, लेकिन कहा – ये निजी मामला है।
मीडिया ने तूफान मचा रखा था। हर अखबार में पामेला की तस्वीरें। विदेशी मीडिया के हर टीवी चैनल पर बहस। लोग पूछ रहे थे – एक भारतीय लड़की ने ब्रिटेन की सत्ता को कैसे हिला दिया? कुछ ने इसे प्रोफुमो अफेयर से भी बड़ा बताया। लेकिन सच ये था कि सरकार नहीं गिरी। किसी मंत्री ने इस्तीफा नहीं दिया। सिर्फ संसद के पास सिस्टम में कुछ बदलाव हुए।
पामेला पर कोई मुकदमा नहीं चला। न एस्कॉर्टिंग का केस, न जासूसी का। वह चुपचाप लंदन से गायब हो गईं। पहले हॉन्गकॉन्ग गईं, वहां मोटरसाइकिल एक्सीडेंट हुआ। फिर भारत लौटीं। गोवा में बस गईं। नाम वापस पामेला सिंह रख लिया। और एक नई जिंदगी शुरू की – फोटोग्राफर की। आज उनकी फोटो प्रदर्शनियां दुनिया भर में लगती हैं। वह शांत जीवन जी रही हैं।
आज जब जेफ्री एपस्टीन का नाम आता है, तो कुछ लोग पामेला को याद करते हैं। कहते हैं – वही पुराना खेल। लेकिन सच अलग है। एपस्टीन का मामला संगठित अपराध था, नाबालिग लड़कियों का शोषण, ब्लैकमेल। पामेला का मामला सिर्फ अफवाहें, व्यक्तिगत रिश्ते और मीडिया का शोर था। कोई बड़ा नेटवर्क नहीं। फिर भी, पामेला की कहानी एक सबक है। एक लड़की, जो जयपुर के स्कूल से निकलकर लंदन की सत्ता के दरवाजे तक पहुंची। जिसकी खूबसूरती ने दरवाजे खोले, और जिसकी वजह से एक बार के लिए पूरी संसद हिल गई। वह आज भी जी रही है, चुपचाप, अपनी शर्तों पर।