तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने प्रधानमंत्री द्वारा सांस्कृतिक प्रतीक के लिए "दा" शब्द के प्रयोग पर आपत्ति जताई थी।
Vande Mataram Controversy: लोकसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर बहस में हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम ने बंकिम चंद्र को लेकर ऐसी बात कह दी कि टीएमसी सांसद ने उन्हें बीच में ही टोक दिया। दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रगीत रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी का जिक्र करते हुए उन्हें "बंकिम दा" कह दिया था। इस पर टीएमसी सांसद ने आपत्ति जता दी और कहा कि आप बंकिम दा बोल रहे हैं, जबकि बंकिम बाबू बोलना चाहिए।
प्रधानमंत्री के बंकिम चंद्र चटर्जी को "दा" कहकर संबोधित करने पर आई सांसद सौगत रॉय के विरोध जताने के बाद PM मोदी ने अपनी गलती को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि "शुक्रिया, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं। मैं बंकिम बाबू ही कहूंगा।" फिर उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, "मैं आपको दादा कह सकता हूं, है ना? या आपको इस पर भी आपत्ति है?"
तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने प्रधानमंत्री द्वारा सांस्कृतिक प्रतीक के लिए "दा" शब्द के प्रयोग पर आपत्ति जताई थी। यह "दा" शब्द "दादा" का संक्षिप्त रूप है, जिसका अर्थ "भाई" होता है। इस शब्द का उपयोग बंगाली लोग आमतौर पर भाइयों, दोस्तों और परिचितों को संबोधित करने के लिए करते हैं। सांसद का कहना था कि प्रधानमंत्री द्वारा सांस्कृतिक प्रतीक के लिए "दा" शब्द का प्रयोग सम्मान की दृष्टि से बहुत हलका था।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रगीत वंदे मातरम पर चल रहे अपने भाषण में 1905 के बंगाल विभाजन का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उस समय "वंदे मातरम" बंगाल के लिए एकता का नारा बन गया था। उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्रगीत बाद में स्वदेशी आंदोलन को प्रेरित करने वाला गीत बन गया था, जबकि अंग्रेजों ने इस गीत पर प्रतिबंध लगा दिया था और इसे गाने या प्रकाशित करने वालों को दंडित किया जाता था। "बंगाल का विभाजन हुआ, लेकिन स्वदेशी आंदोलन जोर पकड़ता गया। इसके बाद वंदे मातरम् पूरे देश में गूंज उठा।