Bihar Election: इन लोगों के नाम की अब गहन जांच की जा रही है। 1 अगस्त के बाद जो नाम सत्यापित नहीं होंगे, उन्हें 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम वोटर सूची में शामिल नहीं किया जाएगा।
Bihar Voter List Revision: बिहार में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव (Bihar Election) होने है। विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट पुनरीक्षण (SIR) को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस बार आरोप-प्रत्यारोप का दौर नेताओं के बीच नहीं है। इस बार चुनाव आयोग (Election Commission) और विपक्षी पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसी बीच वोटर लिस्ट पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) में चुनाव आयोग ने बड़ा खुलासा किया है। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार SIR के तहत घर-घर जाकर किए गए सर्वेक्षण में पाया गया है कि नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के कई लोग वर्तमान में बिहार में रह रहे हैं।
ईसी के सूत्रों ने मुताबिक कि ये लोग अवैध माध्यमों से अपने नाम पर आधार, निवास प्रमाण पत्र और राशन कार्ड जैसे भारतीय दस्तावेज हासिल करने में कामयाब रहे। अगर आरोप साबित होते हैं तो इन लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक इन लोगों के नाम की अब गहन जांच की जा रही है। 1 अगस्त के बाद जो नाम सत्यापित नहीं होंगे, उन्हें 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम वोटर सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चुनाव आयोग अंतिम वोटर लिस्ट प्रकाशन के बाद इन नामों को सार्वजनिक कर सकता है।
सूत्रों के हवाले से बिहार मतदाता सूची में बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के लोगों के नाम सामने आने के बारे में RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा ये सूत्र कौन हैं? ये वही सूत्र हैं जिन्होंने कहा था कि इस्लामाबाद, कराची और लाहौर पर कब्जा कर लिया गया है। ये सूत्र को हम मूत्र समझते हैं। SIR आखिरी बार 2003 में UPA सरकार में किया गया था। तब कई चुनाव हुए हैं। उन चुनावों में हम 3-4 लाख वोटों से हारे हैं। क्या इसका मतलब है कि इन सभी विदेशियों ने पीएम मोदी को वोट दिया?
तेजस्वी ने आगे कहा कि इसका मतलब है कि मतदाता सूची में किसी भी संदिग्ध तत्व के नाम जुड़ने के लिए NDA दोषी है। इसका मतलब है कि उन्होंने जो भी चुनाव जीते हैं, वे सभी धोखाधड़ी वाले रहे हैं। जहां तक नेपाल की बात है तो बिहार और नेपाल का रोटी और बेटी का संबंध है। बिहार पुलिस में नेपाली लोग हैं। आर्मी में नेपाली लोग हैं सुप्रीम कोर्ट ने जबसे मामले को संज्ञान में लिया है और जब से चुनाव आयोग को सलाह दी है। तब से उनके हाथ पांव फूले हुए हैं। अगर फर्जी वोटर हैं भी तो जिम्मेदारी किसकी है? चुनाव आयोग है और NDA सरकार की है। चुनाव आयोग राजनीतिक दल का प्रकोष्ठ बनकर काम कर रहा है।