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TVK Karur Stampede Case: करूर भगदड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, CBI को सौंपा गया जांच का जिम्मा

तमिलनाडु के करूर में अभिनेता विजय की रैली में भगदड़ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है। इस भगदड़ में 41 लोगों की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे। अब सीबीआई इस मामले की जांच करेगी और दोषियों को सजा दिलाने का प्रयास करेगी

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Oct 13, 2025
करूर चुनावी रैली में भगदड़। (फोटो- IANS)

तमिलनाडु के करूर में अभिनेता से राजनेता बने तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) प्रमुख विजय की रैली में मची भगदड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है।

अब इस मामले की जांच सीबीआई करेगी। बता दें कि इस भगदड़ के कारण 41 लोगों की जान चली गई थी। जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए थे।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?

अपने अंतरिम आदेश में, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अजय रस्तोगी को सीबीआई जांच की निगरानी के लिए नियुक्त किया है।

न्यायमूर्ति रस्तोगी के अलावा, तमिलनाडु के दो आईपीएस अधिकारी भी निगरानी पैनल का हिस्सा होंगे। हालांकि, वे तमिलनाडु के मूल निवासी नहीं हैं।

न्यायमूर्ति माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा इस घटना की विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन के निर्देश को चुनौती देने वाली और स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर दलील सुन रही थी।

सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे नेता

अभिनेता-राजनेता विजय की पार्टी टीवीके ने सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच की मांग की है. इसके अलावा, भाजपा नेता उमा आनंदन सहित कई अन्य लोग भी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग कर रहे थे।

बता दें कि करूर भगदड़ मामले ने राजनीतिक आयोजनों में जन सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे पहले, मद्रास उच्च न्यायालय ने इस दुखद घटना की जांच के लिए आईपीएस अधिकारी असरा गर्ग के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जबकि सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर आगे कार्यवाही करने से इनकार कर दिया था।

मद्रास हाई कोर्ट ने क्या कहा था?

3 सितंबर को पारित एक आदेश में, मद्रास उच्च न्यायालय ने इस घातक घटना के बाद विजय की खूब आलोचना की थी। न्यायमूर्ति एन. सेंथिलकुमार की एकल पीठ ने कहा कि आश्चर्यजनक रूप से टीवीके के प्रमुख नेता अपने कार्यकर्ताओं, अनुयायियों और प्रशंसकों को छोड़कर कार्यक्रम स्थल से फरार हो गए। न तो कोई पश्चाताप है, न ही कोई जिम्मेदारी और न ही खेद की अभिव्यक्ति है।

अदालत ने आगे कहा कि ऐसी पार्टी का यह दायित्व है कि वह भारी भीड़ से उत्पन्न भगदड़ जैसी स्थिति में फंसे लोगों को बचाने और उनकी सहायता करने के लिए तत्काल कदम उठाती, जिसमें कई बच्चों, महिलाओं और कई युवाओं की दुखद मृत्यु हो गई।

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