Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने भारत की जनसंख्या के मुकाबले जजों की संख्या का अनुपात काफी कम रहने पर चिंता जताई है। एक निर्देश के अनुसार 10 लाख की जनसंख्या पर कम से कम 50 जज होने चाहिए लेकिन अभी यह संख्या बेहद कम है।
Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने देश में जनसंख्या के मुकाबले जजों की कम संख्या होने पर अफसोस जताते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों पर काम का अत्यधिक तनाव (Workload on Supreme Court) रहता है, जिसके कारण उनसे गलतियां हो जाती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को याद दिलाया कि 2002 में दिए फैसले में 2007 तक निचली अदालतों में 10 लाख जनसंख्या पर 50 जज होने के निर्देश दिए गए थे लेकिन 2024 तक यह अनुपात 25 जजों तक भी नहीं पहुंचा है।
जस्टिस अभय एस.ओका, जस्टिस ए.अमानुल्लाह और जस्टिस एजे मसीह की बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले में सैशन जज के खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को रद्द करने को दायर याचिका पर फैसले में यह टिप्पणी की। बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले से ये टिप्पणियां हटाने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट को निचली अदालत के आदेशों को रद्द करते समय न्यायिक अधिकारियों की व्यक्तिगत आलोचना से बचना चाहिए। कई अच्छे फैसले लिखने के बाद जज काम के दबाव या अन्य कारणों से किसी फैसले में गलती कर सकता है।
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