पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा ने भगवान राम को लेकर विवादित बयान दिया है। मित्रा की इस टिप्पणी के बाद बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच घमासान शुरू हो गया है।
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के वरिष्ठ विधायक मदन मित्रा ने भगवान राम को लेकर विवादित बयान देकर राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। एक वायरल वीडियो में कमरहाटी से विधायक मित्रा को सार्वजनिक सभा में कहते सुना जा सकता है कि 'भगवान राम मुसलमान थे, हिंदू नहीं और उनका कोई उपनाम (सरनेम) नहीं था।' उन्होंने यह टिप्पणी BJP की हिंदू धर्म की समझ को 'सतही' बताते हुए की। मित्रा ने दावा किया कि उन्होंने एक वरिष्ठ BJP नेता से राम के हिंदू होने का प्रमाण मांगा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस बयान की कड़ी निंदा की है। पश्चिम बंगाल BJP ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए कहा कि TMC नेता हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने से बाज नहीं आते। पार्टी ने इसे हिंदू आस्था और सनातन धर्म का सीधा अपमान बताया। BJP प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि यह जानबूझकर किया गया अपमान है और TMC की तुष्टिकरण की मानसिकता को उजागर करता है। BJP ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और TMC को 'तुष्टिकरण मेंटालिटी कांग्रेस' करार दिया।
विवाद बढ़ने पर मदन मित्रा ने स्पष्टीकरण दिया कि वायरल वीडियो पूरी तरह फर्जी, AI से जनरेटेड और एडिटेड है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी ऐसा बयान नहीं दिया, बल्कि केवल राम के उपनाम के बारे में सवाल उठाया था। मित्रा ने चुनौती दी कि पूरा वीडियो दिखाया जाए। उनके करीबियों का दावा है कि मूल बयान में राम को धर्म से ऊपर बताया गया था, जिसे तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।
तृणमूल कांग्रेस ने मित्रा के बयान से किनारा कर लिया। पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, 'जब मदन मित्रा की बात हो तो हम उनके बयानों पर टिप्पणी करने योग्य नहीं हैं। हम सब रामायण और अयोध्या जानते हैं।' TMC ने इसे व्यक्तिगत बयान बताया और पार्टी लाइन से अलग रखा।
यह विवाद 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में धार्मिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण को और तेज कर सकता है। BJP इसे हिंदू वोटों को एकजुट करने के मौके के रूप में देख रही है, जबकि TMC इसे साजिश बता रही है। मदन मित्रा पहले भी विवादित बयानों के लिए चर्चा में रह चुके हैं।