भारत ने 5 साल बाद चीनी नागरिकों को टूरिस्ट वीज़ा देना फिर से शुरू कर दिया है। गलवान टकराव के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था।
भारत ने चीनी नागरिकों को टूरिस्ट वीज़ा देना फिर से शुरू कर दिया है। साल 2020 में गलवान टकराव के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था।
जिसकी वजह से वीजा और डायरेक्ट फ्लाइट सुविधा पूरी तरह से ठप हो गई थी। अब पांच साल बाद भारत सरकार ने फिर से चीनी नागरिकों को वीजा देने का फैसला किया है।
माना जा रहा है कि इस कदम से दोनों देशों के बीच रिश्तों में कटास कम होगी। इस साल की शुरुआत में भारत और चीन के बीच कुछ अहम समझौते हुए थे।
जिसके बाद सबसे पहले दोनों देशों के बीच डायरेक्ट पैसेंजर फ्लाइट्स फिर से शुरू करने की सहमत बनी। अब वीजा से जुड़ा फैसला लिया गया है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि यह फैसला इस साल जुलाई में जारी एक ऑर्डर के बाद लिया गया है। जिसमें चीनी नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा फिर से शुरू करने का सुझाव दिया गया था।
एक महीने पहले, पांच साल से रुकी हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा भी जून 2025 में फिर से शुरू की गई थी, जिसमें भारतीय तीर्थयात्रियों का पहला ग्रुप तिब्बत में दाखिल हुआ था।
इससे पहले, 1 अप्रैल को डिप्लोमैटिक रिश्तों के 75 साल पूरे होने पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत की प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू ने प्रीमियर ली कियांग और पीएम मोदी के साथ बधाई मैसेज का लेन-देन किया, जिससे स्टेबिलिटी के लिए नए कमिटमेंट का संकेत मिला।
भारत और चीन के बीच इस साल डिप्लोमेसी और तेज हुई है क्योंकि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जुलाई में बीजिंग का दौरा किया था। उन्होंने तब कहा था कि रिश्ते धीरे-धीरे पॉजिटिव दिशा में बढ़ रहे हैं।
इसके अलावा, चीन के विदेश मंत्री वांग यी अगस्त में दो दिनों के लिए भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल और विदेश मंत्री जयशंकर से बॉर्डर पर तनाव कम करने और नॉर्मलाइजेशन पर चर्चा की।
इसके बाद पीएम मोदी 31 अगस्त को चीन गए, जो सात साल में उनका पहला दौरा था। इससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में नरमी आई। बता दें कि गलवान घाटी में 2020 में हुई झड़प के बाद से भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ गया था।
इस झड़प में कई भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन ने अपने नुकसान की पुष्टि नहीं की थी। इसके बाद, दोनों देशों ने सीमा पर सैन्य तैनाती बढ़ा दी।