राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की धरती अहमदाबाद में मंगलवार से कांग्रेस का 86 वां अधिवेशन आरंभ हो गया है। इसमें देश भर के कांग्रेस के नेताओं का जमावड़ा लगेगा। पढ़िये नगेन्द्र सिंह की खास रिपोर्ट...
86th Session of the Congress:कांग्रेस के 1907 का सूरत के पास हरिपुरा का अधिवेशन बहुत ही अहम माना जाता है। हालांकि यह अधिवेशन कई कारणों से निलंबित हो गया था। तब कांग्रेस में गरम दल और नरम दल की दो धाराएं उभरी थीं। गरम दल ने नरम दल के रासबिहारी घोष के सामने लाला लाजपत राय के नाम का प्रस्ताव रखा था। रास बिहारी घोष के नाम पर गरम दल को आपत्ति थी। बाल गंगाधर तिलक ने भी घोष के नाम पर विरोध जताया था। उधर नरम दल के नेता सुरेंद्रनाथ बनर्जी ने घोष के नाम का प्रस्ताव रखा। लाला लाजपत राय ने अध्यक्ष पद के लिए लड़ने से इनकार कर दिया। इस तरह वे हट गए और घोष को अध्यक्ष चुना गया।
गरम दल का यह विचार था कि हमें आजादी हड़ताल, विरोध प्रदर्शन और इस तरह के आयोजनों से लेनी है जबकि नरम दल इस बात का पक्षधर था कि बातचीत व शांतिपूर्ण तरीके से स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है।
सूरत अधिवेशन के पहले दिन जब बनर्जी ने घोष के सत्र की अध्यक्षता के रूप में औपचारिक रूप से घोषणा की तब गरम दल के नेताओं ने आवाज उठाई। इसके बाद सामान्य सभा को निलंबित कर दिया गया। बताया जाता है कि विवाद इतना बढ़ गया था कि पुलिस भी बुलानी पड़ी थी।
सूरत के हरिपुरा में पार्टी का दूसरी बार अधिवेशन 19 फरवरी 1938 का 51वां सत्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अध्यक्षता में हुआ। सत्र के अंत में अगले सत्र के लिए अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए नेताजी और पट्टाभि सीतारमैया के बीच प्रतिस्पर्धा हुई। बोस ने भारी अंतर से जीत हासिल की, हालांकि सीतारमैया को गांधीजी का नामांकित माना जाता था।