पृथ्वी पर अब तक जीतने भी जीवों की प्रजातियां पनपी हैं, उनमें से कई लुप्त हो गए है। वैज्ञानिकों ने चमत्कार करते हुए डायर वूल्फ़ नामक एक प्राचीन भेड़िये की प्रजाति को फिर से जीवंत किया है। करीब 13,000 साल पहले यह जीव लुप्त हो गया था।
Dire Wolf: इसे विज्ञान का चमत्कार ही कहेंगे, 13 हजार वर्ष पहले धरती से गायब हुए खूंखार डायर वुल्फ फिर धरती पर लौट आया। जो जिसके अब तक जीवाश्म खोजे गए, वह असल में सांस ले रहा है। क्लोनिंग और जीन एडिटिंग के जरिए इस काम को अंजाम देने वाली डलास स्थित बायोटेक फर्म कोलोसल बायोसाइंसेज ने कहा, इस तकनीक से डायर वुल्फ के तीन बच्चों का जन्म हुआ है, जिनमें दो नर, रेमस और रोमुलस हैं और खलीसी नाम की एक मादा वुल्फ है, जिनका वजन 36 किलोग्राम है। दो नर भेड़ियों का जन्म पिछले वर्ष अक्टूबर में हुआ था, जबकि नर भेड़िया खलीली का जन्म इसी वर्ष जनवरी में हुआ। खलीसी नाम लोकप्रिय सीरीज ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ की एक किरदार पर रखा गया है। कोलोसल के सीईओ बेन लैम ने कहा, 'अगर हम सफल होते हैं, तो हम ऐसी तकनीके बना सकेंगे जो मानव स्वास्थ्य और संरक्षण में भी मदद कर सकेगी।'
इन्हें पुनर्जीवित करने के लिए वैज्ञानिकों ने डायर वुल्फ के दो जीवाश्म नमूनों से डीएनए लिए जिसमें एक 13,000 साल पुराने दांत और दूसरा 72,000 साल पुरानी खोपड़ी से लिया गया। इसके बाद वैज्ञानिकों ने जीन-एडिटिंग तकनीक की मदद से डायर वुल्फ के सबसे करीबी जीवित रिश्तेदार, ग्रे वुल्फ के भ्रूणों के उन जीनोम में बदलाव किए, जो खोपड़ी के आकार, जबड़े, फर और मांसपेशियों के द्रव्यमान जैसे विशेषताओं के लिए जिम्मेदार होते हैं और डायर वुल्फ को पुनर्जीवित किया। जन्म के कुछ दिन बाद तक इन भेड़ियों ने सरोगेट मां का दूध पिया और फिर यह बोतल से दूध पीने लगे।
कंपनी के अनुसार, यह दोनों भेडिये अब एक स्वस्थ युवा डायर वुल्फ का जीवन जी रहे है। इन्हें 2,000 एकड़ की एक जमीन पर रखा जा रहा है, जो कि एक गुप्त स्थान पर है। इस जगह की सुरक्षा के लिए इसके चारों ओर 10 फुट ऊंची बाड़ बनाई गई है। सुरक्षा कर्मचारी, ड्रोन और लाइव कैमरा फीड के जरिए इन भेड़ियो की लगातार निगरानी की जाती है।
कोलोसल ने पहले भी हाथी जैसे वूली मैमथ, डोडो और तस्मानियन टाइगर को दोबारा लाने की योजना बनाई थी, लेकिन डायर वुल्फ पर काम गोपनीय था। हालांकि वैज्ञानिक मानते हैं कि ये बच्चे पूरी तरह से डायर वुल्फ नहीं, बल्कि उनके जैसे दिखने वाले हाइब्रिड हैं। इनका जीनोम 99.9 प्रतिशत ग्रे वुल्फ जैसा है। लेकिन इनका लुक, फर और बनावट पुराने डायर वुल्फ जैसी ही है, जिससे इन्हें ‘डायर वुल्फ फिनोटाइप’ कहा जा रहा है।
कुछ विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं कि क्या इतना पैसा (कंपनी अब तक 435 मिलियन डॉलर जुटा चुकी है) विलुप्त प्रजातियां जिंदा करने पर लगाना सही है? क्या येे सिर्फ विज्ञान का शो-पीस बनकर रह जाएंगे? मोंटाना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिस्टोफर प्रेस्टन कहते हैं, हम तो अभी मौजूदा ग्रे वुल्फ की जनसंख्या नहीं बचा पा रहे हैं, तो डायर वुल्फ को जंगल में छोड़ना फिलहाल कल्पना ही है।
डायर वुल्फ हिमयुग की एक प्रजाति है जो मैमथ और सेबर-टूथ बिल्लियों जैसे बड़े जानवरों के समय धरती पर पाए जाते थे। उत्तरी अमरीका में पाए जाने वाले यह भेडिय़े मौजूदा भेड़ियों से बड़े और ताकतवर थे। इनकी कंधे तक की ऊंचाई एक मीटर से भी ज्यादा होती थी और यह बाइसन और ग्राउंड स्लॉथ जैसे जानवरों का शिकार करते थे।