Year Ender 2025: शिवराज पाटिल से शिबू सोरेन तक, पूर्व मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और राज्यपालों ने इस साल अंतिम सांस ली; आदिवासी अधिकारों से महिला सशक्तिकरण तक कई क्षेत्रों में जगह खाली हुई।
Year Ender 2025: वर्ष 2025 भारतीय राजनीति के लिए शोकपूर्ण रहा। देश ने कई अनुभवी और दिग्गज राजनेताओं को खो दिया, जिन्होंने विभिन्न दलों, राज्यों और मुद्दों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष जैसे पदों पर रहे इन नेताओं का निधन न केवल उनके दलों के लिए बड़ा नुकसान है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की विविधता को भी प्रभावित करता है। इनमें कांग्रेस, भाजपा, क्षेत्रीय दलों और वामपंथी नेताओं का समावेश है, जो आदिवासी अधिकारों, महिला सशक्तिकरण, शासन सुधार और सामाजिक न्याय जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रहे।
सबसे प्रमुख नामों में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष शिवराज पाटिल का शामिल है, जिनका निधन दिसंबर में 90 वर्ष की आयु में हुआ। कांग्रेस के दिग्गज नेता पाटिल ने मनमोहन सिंह सरकार में गृह मंत्रालय संभाला और 26/11 हमलों के दौरान विवादों में भी रहे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का अगस्त में 81 वर्ष की आयु में निधन हुआ। 'दिशोम गुरु' के नाम से प्रसिद्ध सोरेन ने आदिवासी अधिकारों और झारखंड राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाई। उनके बेटे हेमंत सोरेन वर्तमान मुख्यमंत्री हैं।
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और सीपीएम के दिग्गज वी.एस. अच्युतानंदन का जुलाई में 101 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के प्रतीक थे और भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों के लिए जाने जाते थे।
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का जून में अहमदाबाद एयर इंडिया प्लेन क्रैश में निधन हुआ। भाजपा नेता रूपाणी ने 2016-2021 तक राज्य का नेतृत्व किया और मोदी के करीबी माने जाते थे।
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति और मिजोरम के पूर्व राज्यपाल स्वराज कौशल का दिसंबर में 73 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे वरिष्ठ अधिवक्ता थे और मिजोरम शांति समझौते में योगदान दिया। उनकी बेटी बांसुरी स्वराज नई दिल्ली से सांसद हैं।
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास का मई में 79 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वे घर में आरती के दौरान दुपट्टे में आग लगने से घायल हो गई थीं। महिला सशक्तिकरण और राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष के रूप में जानी जाती थीं।
त्रिपुरा विधानसभा के अध्यक्ष बिस्व बंधु सेन का ब्रेन हैमरेज से निधन हुआ। उत्तराखंड के पूर्व विधायक राजेश जुवान्था का भी इस वर्ष देहांत हुआ। अन्य नामों में महाराष्ट्र के सुरुपसिंह हिरया नाईक, जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के दीनानाथ भगत और सीपीआई के सुरवरम सुधाकर रेड्डी शामिल हैं।