Zubeen Garg Murder: जुबीन गर्ग की सिंगापुर दौरे पर मौत हो गई थी। असम के मुख्यमंत्री ने आज यह दावा किया कि जुबीन की मौत किसी दुघर्टना के चलते नहीं हुई है बल्कि यह एक हत्या है।
Zubeen Garg Death or murder : असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि गायक जुबीन गर्ग की सिंगापुर में मौत दुघर्टना नहीं बल्कि एक "हत्या" थी।
उन्होंने कहा, केंद्र से इस मामले की जांच आगे बढ़ाने की अनुमति मिलने के बाद, राज्य बीएनएस की धाराओं के तहत जांच कर रहा है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि गायक जुबीन गर्ग की हत्या एक व्यक्ति ने की, जबकि चार-पांच अन्य लोगों ने इस कृत्य में उसकी मदद की। असम विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन बोलते हुए सीएम ने कहा कि गायक जुबीन गर्ग की हत्या एक व्यक्ति ने की, जबकि चार-पांच अन्य लोगों ने इस कृत्य में उसकी मदद की।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि इस मामले को पहले दिन से ही हत्या के रूप में देखा गया और 8 दिसंबर को अदालत में आरोपपत्र पेश किया जाएगा।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma) ने मंगलवार को कहा कि गायक ज़ुबीन गर्ग (Zubeen Garg’s death) की सिंगापुर में हुई मौत 'आकस्मिक' नहीं थी, यह एक हत्या थी। उन्होंने कहा, 'यह पहले दिन से ही एक हत्या का मामला था। इस मामले के आरोपी श्यामकानु महंत, सिद्धार्थ शर्मा, अमृतप्रभा महंत और शेखर ज्योति गोस्वामी बंद हैं।'
असम विधानसभा में मंगलवार को अपने संबोधन के दौरान, हिमंत ने कहा, "हमारी भावनाएं ज़ुबीन के साथ हैं, इसलिए हम ज़ुबीन गर्ग की हत्या की जांच कर रहे हैं।'
असम सीएम ने इस मौत को “हत्या” क्यों कहा, के बारे में बताते हुए कहा, 'जुबीन की मौत के तुरंत बाद हमें लगा कि कुछ गड़बड़ है और यही वजह है कि हमने बीएनएस धारा 61 (आपराधिक साजिश), 105 (गैर इरादतन हत्या) और 106 (उतावलेपन और लापरवाही से मौत) के तहत प्राथमिकी दर्ज की।'
सीएम हिमंता ने कहा कि शुरुआती दौर में असम पुलिस को इस बात का यकीन था कि यह एक "साफ़-साफ़ हत्या" है, इसीलिए दो दिनों के अंदर असम सरकार ने अदालत को बताया कि यह एक हत्या है और आरोपों में धारा 103 (हत्या की सज़ा) जोड़ने की मांग की।" उन्होंने कहा कि सभी ज़मानत याचिकाएँ और अन्य कार्यवाहियां धारा 103 पर आधारित हैं।
सीएम के एक्स हैंडल पर एक वीडियो में वह यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि असम में विपक्ष के बेहूदा बयानों को सुनकर ऐसा लगता है कि अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के चक्कर में ये लोग ज़ुबिन गर्ग के हत्यारों की ही वकालत कर रहे हैं। इनकी निगाहें कहीं और हैं और निशाने कहीं और।
इससे पहले हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था, 'जैसा कि आप जानते हैं, अगर किसी दूसरे देश में कोई घटना घटती है तो बीएनएसएस की धारा 208 के तहत जांच करने वाली एजेंसी को गृह मंत्रालय या केंद्र सरकार से पूर्व अनुमति लेनी होती है। उस अनुमति के बिना अदालत मामले का संज्ञान नहीं लेगी और मुकदमा आगे नहीं बढ़ेगा। आज, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मामले को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी है और इस अनुमति के बाद हम समय पर आरोपपत्र दाखिल कर पाएंगे। हम 10 से 15 दिनों के भीतर जांच पूरी कर लेंगे और 10 दिसंबर से पहले आरोपपत्र दाखिल कर देंगे।'